Shani Ki Sade Sati: जन्म कुंडली से ऐसे जानें, कब होता है आपके जीवन में शनिदेव का भयानक प्रभाव

Shani Ki Sade Sati: शनिदेव समय-समय पर सभी लोगों को प्रभावित करते रहते हैं। जब भी वे किसी व्यक्ति को पीड़ित करते हैं तो उस व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत ही बुरी स्थिति का सामना करना पड़ता है और व्यक्ति के जीवन में तरह-तरह की परेशानियां आने लगती हैं। शनिदेव ऐसे व्यक्ति को चैन की सांस तक नहीं लेने देते हैं। व्यक्ति परेशान हो जाता है। तो आइए जन्म कुंडली से जानते हैं शनिदेव की साढ़े साती और शनि के ढैय्या के बारे में...
शनिदेव एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं और इस तरह से सभी 12 राशियों में घूमने के लिए उन्हें 30 वर्ष का समय लग जाता है।
वहीं ज्योतिष की मानें तो साढ़े साती के दौरान शनिदेव एक राशि में साढ़े सात वर्ष तक रहते हैं।
जन्मकुंडली में जन्म राशि यानि कि चंद्र राशि से शनि का गोचर 12वें स्थान पर होता है तो इसी दौरान जातक के जीवन में शनिदेव की साढ़े साती शुरु हो जाती है।
ज्योतिष के मुताबिक, शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं, इसीलिए जन्मकुंडली के तीनों भावों को मिलाकर वे साढ़े सात वर्ष का समय पूरा करते हैं। इसी वजह से शनि महाराज के इस विशेष गोचार काल को शनि की साढ़े साती कहते हैं।
वहीं शनिदेव जब साढ़े साती के अतिरिक्त जन्म राशि में स्थित चंद्रमा से चौथे भाव में गोचर करते हैं तो ज्योतिष में शनिदेव की उस स्थिति को शनि की छोटी साढ़े साती अथवा शनि की ढैय्या कहा जाता है।
वहीं अगर शनिदेव आपकी जन्मकुंडली के 12वें, पहले, दूसरे और जन्म के चंद्रमा से ऊपर होकर गोचर करें तो शनिदेव की इस स्थिति को उनकी साढ़े साती कहा जाता है और ऐसी स्थिति में जातक पर शनिदेव का बहुत भयानक असर होता है। तथा शनिदेव ऐसे जातक को पीड़ित करते हैं और उसके जीवन से सुख, चैन, रुपया, पैसा और धन आदि भी छीन सकते हैं।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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