Janmashtami 2020 Ki Kab Hai : जानिए जन्माष्टमी पर क्यों फोड़ी जाती है दही हांडी

Janmashtami 2020 Ki Kab Hai : जानिए जन्माष्टमी पर क्यों फोड़ी जाती है दही हांडी
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Janmashtami 2020 Ki Kab Hai : जन्माष्टमी का पर्व (Janmashtami Festival) भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इतन ही नहीं इस दिन कई जगह दो दही हांडी (Dahi Handi) फोड़ने का कार्यक्रम भी रखा जाता है। लेकिन क्या है इसके पीछे की मान्यता आइए जानते हैं...

Janmashtami 2020 Ki Kab Hai : जन्माष्टमी 12 अगस्त 2020 (Janmashtami 11 August 2020) को मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में अवतार लिया था। इस त्योहार को देश के हर कोने में अलग- अलग ढंग से मनाते हैं। कई जगह तो इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा (Lord Krishna Puja) के साथ दही हांडी फोड़ने का कार्यक्रम भी रखा जाता है। जिसमें दूर- दूर से लोग भाग लेने के लिए आते हैं। लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है क्या है इसके प्रथा के पीछे की मान्यता आइए जानते हैं।

जन्माष्टमी पर क्यों फोड़ी जाती है दही हांडी (Janmashtami Per Kyu Fodhi Jati Hai Dahi Handi)

जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के इस त्योहार पर दाही हांडी फोड़ने का कार्यक्रम भी रखा जाता है। यहां तक कि महाराष्ट्र और गोवा में दही हांड़ी फोड़ने के लिए प्रतियोगिताएं भी रखी जाती है। जिसके लिए कई टोलियां आती है। जिसमें बहुत सारे लोग होते हैं। जन्माष्टमी के दिन दहीं हांडी को बहुत ही ऊंचाई पर टांगा जाता है

जिसे टोलियों में आए लोग बारी- बारी से फोड़ने की कोशिश करते हैं और जो भी टोली इस दही हांडी को फोड़ देती है वह इस प्रतियोगिता की विजेता बन जाती है। लेकिन इस दही हांडी को फोड़ना इतना भी आसान नहीं होता। क्योंकि दहीं हांडी को फोड़ने के लिए जो बैलेंस बनाया जाता है। उसे बनाना काफी मुश्किल होता है।इतना ही नहीं ऊपर खड़े लोग इन टोलियों पर लगातार पानी फेंकते रहते है।

दही हांडी फोडने वाले लोगो को गोविंदा बोला जाता है और लगातार गोविन्दा आला रे के नारे लगाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जन्माष्टमी के दिन हांडी क्यों फोड़ी जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन में कई बाल लीलाएं की है। इन्हीं मे से एक है उनकी माखन चुराने की लीला इसी कारण ने उन्हें माखन चोर नाम से भी पुकारा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को माखन बहुत ही पसंद था।

जिसके लिए वह न केवल अपने घर का बल्कि पूरे गोकुल का माखन अपने मित्रों के साथ मिलकर चुरा लेते थे और बड़े ही आनंद के साथ खाते थे। इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को याद करके हर साल दही हांडी फोड़ने का कार्यक्रम रखा जाता है। जिसकी ईनामी राशि भी बहुत बड़ी होती है।

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