Jyotish Shastra : परेशानियों और केतु के प्रभाव को समाप्त करता है ये रत्न, जानें इसे धारण करने की विधि

- जानें, जीवन में परेशानी का कारण क्या है।
- जानें, परेशानियों से कौनसा रत्न दिलाता है निजात
- जानें, लहसुनिया किस ग्रह का रत्न है।
Jyotish Shastra : ज्योतिष के अनुसार, लहसुनिया केतु का रत्न है। अर्थात इसका स्वामी केतु ग्रह है। संस्कृत में इसे बाल सूर्य, उर्दू में इसे लहसुनिया और अग्रेजी में इसे कैट आई कहा जाता है। जब भी बने बनाए काम में अड़चन पड़ जाए, आपको चोट लग जाए, मन में दुर्घटना का भय बन रहा हो और जीवन में उन्नति के सभी मार्ग बंद हों तो समझ लीजिए कि आप केतु के कारण परेशान चल रहे हैं। रत्न ज्योतिष के अनुसार, जन्मकुंडली में जब भी केतु आपकी परेशानी का कारण बने तो लहसुनिया रत्न को जरुर धारण करें।
ये भी पढ़ें : Jyotish Shastra : पति-पत्नी खाएं ये खीर तो जरुर होगी संतान
केतु का रत्न लहसुनिया आपके जीवन में आने वाली समस्याओं से निजात दिलाता है और आपको तुरन्त फायदा भी देता है। ये रत्न केतु के दुष्प्रभाव को शीघ्र समाप्त करने में भी सक्षम है। इस रत्न की वजह से व्यक्ति के जीवन में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं आती हैं।
इस रत्न में सफेद धारियां पायी जाती हैं। जिसकी संख्या आमतौर पर 2,3 या फिर 4 होती है। वहीं जिस लहसुनिया में ढाई धारियां पायी जाती हैं उसे उत्तम कोटि का माना जाता है। ये सफेद, पीला, काला, सूखे पत्ते जैसा और हरे यानी चार प्रकार के रंगों में मिलता है। इन सभी प्रकार के लहसुनिया पर सफेद धारियां अवश्य होती हैं। ये धारियां कभी-कभी धूएं के रंग की भी होती हैं।
ये रत्न श्रीलंका और काबुल के अलावा भारत के विन्ध्याचल, हिमालय और महानदी के क्षेत्रों में पाया जाता है।
रत्नों के विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की अंगुठी में लहसुनिया रत्न लगवाकर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और साधना आदि करके इसे धारण करें। इस रत्न को हमेशा अर्ध्य रात्रि के समय ही कनिष्ठा या मध्यमा अंगुली में धारण करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS