Jyotish Shastra: साल 2022 में खूब बरसेंगे बादल, जानें इस बारे में ज्योतिष की ये गणना

- सूर्य के आद्रा नक्षत्र में आने के कारण होगी अच्छी वर्षा
- 6 जुलाई तक आद्रा नक्षत्र में रहेगा सूर्य
Jyotish Shastra: सूर्य देव ने 22 जून को नक्षत्र परिवर्तन किया है। सूर्य गोचर की तरह नक्षत्र परिवर्तन भी प्रभावित करता है। भास्कर इस समय आर्द्रा नक्षत्र में हैं। वे 6 जुलाई तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। इस दौरान 3 राशियों पर उनकी कृपा बरसेगी। इससे पहले 15 जून को सूर्य ने मिथुन राशि में प्रवेश किया था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रवि जब आर्द्रा नक्षत्र में होते हैं। तब शुभ फल देते है। इस दौरान महादेव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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मैदिनी ज्योतिष के अनुसार वर्षा ऋतु का प्रबल कारक सूर्य तथा मौसम परिवर्तन का कारक बुध ग्रह अपनी राशि अथवा अपनी मित्र राशि में गोचर करते हैं, तो वर्षा का चक्र बनता है तथा उसी क्रम में बारिश की दशा तथा दिशा तय हो जाती है। पंचांगीय गणना के अनुसार 15 जून को सूर्य दोपहर 12.30 बजे वृषभ राशि को छोड़कर मिथुन राशि में प्रवेश करते ही वर्षा चक्र तैयार हो गया था। वहीं 1 जुलाई को बुध ग्रह भी मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे, इससे बारिश की स्थिति और भी श्रेष्ठ होगी।
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सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में 6 जुलाई तक रहेंगे। इन 15 दिनों में आषाढ़ महीने का कृष्ण और शुक्ल पक्ष रहेगा। बुध की राशि में सूर्य होने और बुधवार को ही नक्षत्र परिवर्तन होने से इस बार बारिश से किसान और खेती से जुड़े बिजनेस करने वालों के लिए समय अच्छा रहेगा। ग्रंथों में कहा गया है कि जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है तो धरती रजस्वला होती है। यानी इसमें बीज बोने का सही समय होता है।
आर्द्रा नक्षत्र के देव हैं रुद्र
आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र हैं। जो कि आंधी, तूफान के स्वामी हैं। ये कल्याणकारी भगवान शिव का ही रूप हैं। इस नक्षत्र का स्वामी राहू है। जो कि धरती का उत्तरी ध्रुव भी है। इस नक्षत्र में जानवरों से जुड़े काम किए जाते हैं। ये उर्ध्वमुख नक्षत्र है। यानी इस नक्षत्र में ऊपर की ओर गति करने वाले काम किए जाते हैं। इसलिए जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में होता है तभी बीज बोए जाते हैं और खेती की शुरुआत होती है। आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के आने से बारिश का मौसम शुरू हो जाता है।
बारिश के लिए खास है सूर्य का पर्जन्य नक्षत्र में प्रवेश
आर्द्रा नक्षत्र पर्जन्य नक्षत्र की श्रेणी में आता है। ज्योतिष शास्त्र में यह भी कहा जाता है कि आषाढ़ मास में इस नक्षत्र का प्रभाव सर्वत्र भूमंडल पर अलग प्रकार का होता है। यही नक्षत्र अगले चार माह वर्षा ऋतु के क्रम को निर्धारित करता है। यदि इस नक्षत्र में किसी ग्रह का दृष्टि भेद हो, तो खंड वृष्टि की स्थिति निर्मित होती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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