Jyotish Shastra : अनमोल रत्न है पुखराज, जानें इसके लाभ, धारण करने की विधि और मंत्र

Jyotish Shastra : अनमोल रत्न है पुखराज, जानें इसके लाभ, धारण करने की विधि और मंत्र
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  • ज्योतिष शास्त्र में पुखराज को देवगुरु बृहस्पति का रत्न माना गया हे।
  • पुखराज धारण करने वाले जातक पर जल्दी ही देवगुरु बृहस्पति की कृपा होने लगती है।

Jyotish Shastra : ज्योतिष शास्त्र में पुखराज और सुनहला को देवगुरु बृहस्पति का रत्न माना गया हे। पुखराज बहुत अनमोल रत्न होता है, पुखराज को संस्कृत में पुष्पराग कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ फल दे रहे हो तो वे लोग पुखराज धारण करते हैं। पुखराज को शुभता, सौभाग्य और संपन्नता के लिए कोई भी व्यक्ति इसे धारण कर सकता है। पुखराज समेत सभी प्रकार के रत्न हमेशा किसी विद्वान आचार्य या ज्योतिषि के परामर्श पर ही धारण करने चाहिए और रत्न को धारण करते समय उस रत्न से संबंधित नियमों का पालन करना चाहिए। तभी उस रत्न के शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी पुखराज धारण करना चाहते हैं तो आइए जानते हैं पुखराज धारण करने की विधि और मंत्र के बारें में...

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पुखराज के लाभ

पुखराज धारण करने वाले जातक पर जल्दी ही देवगुरु बृहस्पति की कृपा होने लगती है और जातक के जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पुखराज धारण करने वाले जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और जीवन पर्यन्त उसे हमेशा लाभ ही लाभ होता है। पुखराज के प्रभाव से समाज में जातक के मान-प्रतिष्ठा भी वृद्धि है। यदि किसी जातक के विवाह में अड़चन आ रही है और उसकी शादी तय होकर भी टूट जा रही है तो उसे पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए।

पुखराज धारण करने की विधि

पुखराज को सवा पांच रत्ती, सवा नौ रत्ती, सवा बारह रत्ती की मात्रा में ही धारण करना चाहिए। पुखराज खरीदकर पीले रेशमी वस्त्र में लपेट कर सीधी भुजा में बांध लें। गुरुवार से गुरुवार तकपुखराज को बांधकर रखें और इसकी शुभता को चेक कर लें। यदि इस दौरान आपके साथ कुछ अशुभ नहीं होता है और आपकी वर्तमान स्थिति में सुधार होने लग जाए तो पुखराज को शुभ मानकर और सोने में जड़वाकर किसी भी शुक्ल पक्ष के गुरुवार को सूर्य उदय होने के बाद इसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाएं और धारण कर लें।

पुखराज धारण करते समय इस मंत्र का करें जाप

ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

बृहस्पति का तांत्रिक मंत्र

ॐ ज्रॉं ज्रीं ज्रौं स: गुरुवे नम:।।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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