Jyotish Shastra : घर की शांति के लिए करें ये उपाय, फिर देखें चमत्कार

Jyotish Shastra : वर्तमान समय में व्यक्ति की रोजमर्रा की जरुरतें और भागदौड़ भरी जिन्दगी में अक्सर लोग बहुत आगे निकल जाते हैं और उनका घर-परिवार और समाज काफी पीछे छूट जाता है। जिसके कारण घर-परिवार में कुछ अशांति या अशुभता की स्थिति नजर आती है। सांसारिक जीवन में पंच तत्वों से युक्त मानव शरीर से सभी जन विज्ञ हैं यथा पृथ्वी, आकाश, जल, वायु और अग्नि। कहा जाता है कि 'यथा पिंडे तथा ब्रह्माण्डे'। सारे ग्रह, राशियां, नक्षत्र, प्राणी एवं घर सभी इनके आधार पर संचालित होते हैं। इसलिए कुछ नियमित रुप से उपाय करने से पारिवारिक खुशियों का वातावरण बना रहता है। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में...
घर की शांति के उपाय
- हमेशा मिट्टी के जल पात्र (मटकी, घड़ा, सुराही) का ही जल पियें। इससे शनि, राहु, केतु ग्रह शांत रहते हैं।
- घर में तुलसी का पौधा लगाएं। प्रतिदिन प्रातः व सायं घी का दीपक करें। इससे घर का वास्तु दोष संतुलित रहता है तथा बुध, चंद्र व आंशिक शुक्रादि ग्रह शांत रहते हैं। घर की छत पर ईशान कोण में तुलसी का पौधा रखें, नित्य जल चढ़ाएं (रविवार को छोड़कर)। इससे मंगल व सूर्य ग्रह शांत व प्रसन्न रहते हैं जिससे धंधा एवं भवन संबंधी कार्य होता है।
- परिवार में शयन कक्ष हमेशा स्वच्छ व सुगंधित रखें। लकड़ी के ही पलंग पर शयन करें तथा उसके सभी पायों के नीचे ताम्बे के प्लेट रखें। इससे बुध, शुक्र व केतु ग्रह शांत व प्रसन्न रहते हैं तथा परिवार में रोग निवारण होता है।
- यदि आपकी रसोई उचित दिशा आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) कोण में नहीं है तो रसोई के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में सिन्दूरी रंग के गणपति स्थापित करें, धन-धान्य एवं समृद्धि की बहार रहेगी और दुर्घटनाओं का खतरा भी नहीं होगा।
- घर की छत पर नैर्ऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में लाल, पीली, नीली, सफेद व हरे पंचरंगी पताका (ध्वजा) फहराएं। इससे सूर्य व गुरु ग्रह ही नहीं बल्कि सभी नवग्रह प्रसन्न व शांत रहते हैं तथा समस्त पीड़ाकारक दोषों का निवारण होता है।
- पितृ दोष निवारण के लिए बुजुर्गों की प्रसन्नता के लिए और आपके घर में शांति के लिए, नौकरी कारोबार में उन्नति के लिए प्रतिदिन प्रातः और सायंकाल परिण्डे के पास दीपक जलायें।
- प्रत्येक रविवार को जल में इत्र मिलाकर प्रातःकाल सूर्योदय वेला एवं सूर्योदय होने पर सूर्य को अघ्र्य दें तथा 'ऊँ हिरण्यगर्भाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए एक माला फेरें।
- प्रत्येक शनिवार को सायं काल पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- राहु की शांति के लिए तथा पितरों की शांति के लिए परिण्डे पर प्रतिदिन सायं काल घी का दीपक जलायें। बुजुर्गों का सम्मान करें।
- प्रत्येक मंगलवार को शुद्ध होकर प्रातः काल श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमानजी के मंदिर में दर्शन करें तथा गुड़ के प्रसाद का भोग लगायें। लोबान धूप कर सकें तो और भी अच्छा होगा।
- प्रत्येक शनिवार को श्री हनुमानजी को गुलकंद युक्त मीठा पान चढ़ायें तथा 'ऊँ पवनपुत्राय नमः मंत्र की एक माला (108 नाम) जपें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS