Jyotish shastra: ये है ग्रहों की मूलत्रिकोणादि व्यवस्था, जानिए कहां कौन सा ग्रह कितना शुभ फल देता है

Jyotish shastra: सभी राशियों में से कुछ राशियों ग्रहों की मूल त्रिकोण राशि तो कुछ उच्च राशि और वहीं कुछ नीच राशियां कहलाती हैं। जैसे कोई भी व्यक्ति अपने आवास यानि अपने अधिकार क्षेत्र वाले स्थान पर सभी लोगों को आज्ञा देने में सक्षम होता है उसी प्रकार सभी ग्रह भी अपने घर में स्वस्थ-सक्षम और अच्छा फल देते हैं।
सभी ग्रह अपनी राशि की में तो अच्छा फल देते ही हैं, परन्तु वे अपनी मूल त्रिकोण राशि में और भी अधिक तथा सटीक फल देते हैं। ग्रह अपनी उच्च राशि में पूरे सामर्थ्य के साथ शुभ फल प्रदान करते हैं। वहीं मूल त्रिकोण राशि में उससे थोड़ा कम और अपने घर में उससे भी कम शुभ फल प्रदान करते हैं। उच्च राशि में ग्रह अपना पूर्ण शुभ फल देते हैं, वहीं मूल त्रिकोण में तीन चौथाई यानि 75 प्रतिशत और अपने घर में केवल 50 प्रतिशत तथा मित्र की राशि में 25 प्रतिशत और वहीं शत्रु की राशि में मामूली शुभफल व नीच राशि में शून्य शुभ फल प्रदान करते हैं।
सूर्य
उच्च (परमोच्चांश) राशि | मेष 10° |
मूल त्रिकोण राशि | 1°-20° |
स्वगृह राशि | सिंह 21°-30° |
नीच राशि | तुला 10° |
चंद्रमा
उच्च (परमोच्चांश) राशि | वृष 3° |
मूल त्रिकोण राशि | वृष 4°-30° |
स्वगृह राशि | कर्क |
नीच राशि | वृश्चिक 3° |
मंगल
उच्च (परमोच्चांश) राशि | मकर 28° |
मूल त्रिकोण राशिमेष | मेष 1°-12° |
स्वगृह राशिमेष | मेष 13°-30° व वृश्चिक |
नीच राशि | कर्क 28° |
बुध
उच्च (परमोच्चांश) राशि | कन्या 15° |
मूल त्रिकोण राशि | कन्या 16°-20° |
स्वगृह राशि | मिथुन व कन्या 21°-30° |
नीच राशि | मीन 15° |
गुरु
उच्च (परमोच्चांश) राशि | कर्क 5° |
मूल त्रिकोण राशि | धनु 1°-10° |
स्वगृह राशि | धनु 11°-30° व मीन |
नीच राशि | मकर 5° |
शुक्र
उच्च (परमोच्चांश) राशि | मीन 27° |
मूल त्रिकोण राशि | तुला 1°-15° |
स्वगृह राशि | तुला 16°-30° व वृष |
नीच राशि | कन्या 27° |
शनि
उच्च (परमोच्चांश) राशि | तुला 20° |
मूल त्रिकोण राशि | कुम्भ 1°-20° |
स्वगृह राशि | मकर व कुम्भ 21°-30° |
नीच राशि | मेष 20° |
राहु
उच्च | मिथुन |
मूल त्रिकोण | कुंभ |
स्वगृह | कन्या |
नीच | धनु |
केतु
उच्च | धनु |
मूल त्रिकोण | सिंह |
स्वगृह | मीन |
नीच | मिथुन |
मिथुन, कन्या व कुंभ राशियों में राहु शुभ फल देता है। इनसे सातवीं राशि में केतु भी शुभ फल देता है। कुछ लोगों का मत है कि राहु की कुंभ व केतु की वृश्चिक राशि स्वगृह हैं। राहु और केतु ग्रह के परमोच्च अंश नहीं है यहां सारी राशि को ही उच्च व नीच माना जाता है।
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