Jyotish Shastra : कुंडली के दूसरे भाव में मौजूद ग्रह होता है वाणी पर प्रभाव, पढ़ें पूरी डिटेल

Jyotish Shastra : कुंडली का दूसरा भाव धन का भाव होता है और यह भाव कुंडली में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुंडली के द्वितीय भाव में मंगल के विराजमान होने पर जातक की वाणी तार्किक होती है। वहीं कुंडली द्वितीय भाव में अन्य ग्रहों के विराजमान होने पर जातक की वाणी भी कुंड़ली के द्वितीय भाव में मौजूद ग्रह के अनुसार ही होती है। तो आइए जानते हैं कुंडली के द्वितीय भाव में मौजूद किस ग्रह के अनुसार, जातक की वाणी कैसी होती है।
- कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य के विराजमान होने होने पर व्यक्ति की वाणी तेज और सच्ची होती है।
- द्वितीय भाव में चंद्रदेव विराजमान होने पर जातक की वाणी शांत और सहज होती है। ऐसा जातक निर्मल हृदय का होता है और छल-कपट आदि से दूर रहता है।
- कुंडली के दूसरे भाव में मंगलदेव के विराजमान होने पर जातक की वाणी में तार्किकता होती है। ऐसा व्यक्ति बहुत ही ज्यादा बुद्धिमान और साहसी होता है।
- कुंडली के दूसरे भाव में बुध के विराजमान होने पर जातक वाणी से बहुत चतुर होता है।
- कुंडली के दूसरे भाव में बृहस्पति के विराजमान होने पर जातक वाणी से शांत-गंभीर और मधुरभाषी होता है।
- कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र विराजमान होने पर जातक की वाणी में प्रेम और चाहत की झलक देखने को मिलती है।
- कुंडली के दूसरे भाव में शनि के विराजमान होने से जातक की वाणी कुटिल होती है। ऐसा व्यक्ति कटुभाषी और दिल का साफ होता है।
- कुंडली के दूसरे भाव में राहु के विराजमान होने से जातक अधिकतर झूठ ही बोलता है और ऐसा जातक कभी भी अपनी बात पर नहीं टिकता है। उसकी बातों पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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