Jyotish Shastra: भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की एक साथ क्यों की जाती है पूजा, जानें इसका रहस्य

Jyotish Shastra: भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के बिना किसी भी शुभ अवसर पर होने वाली पूजा को कभी पूरा नहीं माना जाता। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश बुद्धि प्रदान करते हैं, वे विघ्न विनाशक और विघ्नेश्वर हैं। यदि किसी व्यक्ति के पास बेशक खूब धन-सम्पदा है लेकिन उसमें बुद्धि का अभाव है तो वह कभी भी उस धन-सम्पदा का सदुपयोग नहीं कर पाता है। यही कारण है कि किसी भी व्यक्ति का बुद्धिमान और विवेकी होना भी बहुत आवश्यक है। जिस व्यक्ति में ये दोनों गुण होते हैं, वही व्यक्ति धन के असली महत्व को समझ सकता है। इसलिए भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की एक साथ पूजा की जाती है। जहां एक तरफ भगवान गणेश बुद्धि प्रदान करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ माता लक्ष्मी धन की देवी हैं। तो आइए जनते हैं भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की एक साथ पूजा के रहस्य के बारे में...
शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। मान्यताओं के अनुसार धन और समृद्धि की वजह से माता लक्ष्मी को इसका अभिमान हो जाता है। यही वजह थी कि भगवान विष्णु उनके इस अभिमान को खत्म करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा कि स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती है, जब तक वह मां न बन जाए।
माता लक्ष्मी का कोई पुत्र नहीं था, इसलिए भगवान विष्णु की बात सुनकर वह बहुत निराश हो गई थीं। तब वे मदद मांगने के लिए माता पार्वती के पास पहुंची। माता पार्वती के दो पुत्र थे, इसलिए उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा कि वे उनके एक पुत्र को गोद ले सकती हैं। माता पार्वती जानती थीं कि लक्ष्मी जी एक स्थान पर लंबे समय तक नहीं रहती हैं। जिसकी वजह से वे सही से बच्चे की देखभाल नहीं कर पाएंगी। लेकिन उनके दर्द को समझते हुए माता पार्वती ने उन्हें अपना पुत्र गणेश दे दिया।
माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का रहस्य
माता पार्वती के पुत्र गणेश को पाने के बाद लक्ष्मी माता बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने कहा कि वे गणेश का बहुत ध्यान रखेंगी। यही वजह है कि हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने वाला जो भी व्यक्ति सुख और समृद्धि के लिए माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं, उन्हें सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी पड़ती है। किसी भी शुभ कार्य के लिए होने वाली माता लक्ष्मी की पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा करने के बाद ही वह सफल और संपन्न मानी जाती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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