Jyotish Shastra : पितरों की ऋतु में रखें इन बातों का ख्याल, वरना...

Jyotish Shastra : ज्योतिष में हेमंत ऋतु को पितरों की ऋतु भी कहा जाता है और इस दौरान कुछ विशेष बातों का भी ख्याल रखा जाता है। वरना पितरों को रूठते देर नहीं लगती है। इसीलिए हेमंत ऋतु के दौरान कुछ कार्यों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और साथ ही सूर्यनारायण का भी आशीर्वाद मिल जाता है। वहीं इन उपायों को करने से कुंडली पितृदोष और सूर्यदोष से मुक्त हो जाती है। तो आइए जानते हैं। हेमंत ऋतु के दौरान कौन से कार्य करने से सूर्यदेव के साथ में पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है।
हेमंत ऋतु के नियम
- हेमंत ऋतु के दौरान प्रतिदिन सूर्योदय से पहले ही बिस्तर का त्याग करें।
- सूर्योदय से पूर्व नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें।
- स्नान के बाद दैनिक पूजा-अर्चना करें।
- इसके बाद सूर्यदेव को तांबे के लोटे में गुड़, तिल, दूध और गंगाजल मिला जल भर अर्घ्य दें।
- सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करें।
- अर्घ्य के गिरते हुए जल में सूर्यदेव के दर्शन करें।
- सूर्यदेव को सीधी आंखों से ना देखें।
- अर्घ्य का जो जल धरती पर गिरे, वहां से मिट्टी लेकर माथे पर तिलक करें।
- सूर्यदेव को ऐसे स्थान पर अर्घ्य दें, जहां से जल आपके पैरों पर ना गिरें।
- ऐसा करने से आपको सूर्यदेव के साथ ही पितृों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और साथ ही पितृ ऋण और पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है।
वहीं हेमंत ऋतु के यानि पितरों की ऋतु के दौरान आप अपने ईष्ट और अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा कर सकते हैं। वहीं इस दौरान महादेव की पूजा करने का भी विधान है। इस दौरान शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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