Jyotish Shastra : शनि से प्रभावित रहेगा पूरा वर्ष, जानें साल 2022 को लेकर प्रसिद्ध ज्योतिषविदों की क्या है राय

Jyotish Shastra : हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत 2079 के राजा भी शनि होंगे जिसका 02 अप्रैल 2022 को शुभारंभ भी शनिवार को होगा। शनिदेव अभी अपने स्वामित्व वाली मकर राशि में हैं और 29 अप्रैल 2022 को वे कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद शनि वक्री होकर 12 जुलाई 2022 से फिर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शनि 17 जुलाई 2023 को ही फिर कुंभ राशि में फिर से प्रवेश करेंगे। मकर और कुंभ राशि दोनों ही शनि द्वारा शासित हैं। ग्लोबल फाउंडेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के वरिष्ठ ज्योतिषी प्रोफेसर (डॉ.) अनिल मित्रा का कहना है कि वर्ष 2022 पर इस साल शनि की सत्ता स्थापित रहेगी। 01 जनवरी 2022 को नए साल की शुरुआत शनिवार के दिन और 31 दिसंबर भी शनिवार को पड़ेंगे। विगत 100 साल में 15वीं बार और विगत 10 साल में दूसरी बार नए साल की शुरुआत शनिवार को होगी।
वरिष्ठ ज्योतिषी प्रोफेसर (डॉ.) अनिल मित्रा ने बताया कि भारतीय सनातन पंचांग के अनुसार नव वर्ष चैत्र मास में मनाया जाता है जिसे नव संवत्सर भी कहा जाता है। 2 अप्रैल 2022 को विक्रम नवसंवत्सर 2079 का शुभारंभ भी शनिवार को होगा। हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत 2079 चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 2 अप्रैल दोपहर 02 बजकर 57 मिनट से प्रारम्भ होकर 3 अप्रैल शाम 05 बजकर 26 मिनट तक है। पुरातन ग्रंथों के अनुसार इसी दिन सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी। विक्रम संवत 2079 के राजा भी शनि होंगे। यह सामान्य रूप से स्वास्थ्य समस्याओं, फसलों की हानि और औसत से कम वर्षा को इंगित करता है। इसके अलावा इस वर्ष के दौरान राजनीतिक उथल पुथल का भी संकेत मिलता है। इस साल होने वाले चुनाव में कई नामी नेताओं की हार हो सकती है।
वरिष्ठ ज्योतिषी प्रोफेसर (डॉ.) अनिल मित्रा ने बताया कि हालांकि देव गुरु बृहस्पति इस हिंदू वर्ष के मंत्री होंगे लेकिन इस वर्ष शुरुआत से बृहस्पति कुंभ राशि में गोचर कर रहा था। इसके बाद भी यह 13 अप्रैल 2022 तक कुंभ राशि में ही गोचर करता रहेगा। कुंभ राशि शनि द्वारा शासित है। इसके अलावा इस हिंदू वर्ष में शनि धनेश भी होंगे जो कम से कम इस साल के पहले 4 महीनों के दौरान आर्थिक मंदी और व्यापार में गिरावट का संकेत देते हैं। यह सबसे महत्वपूर्ण है कि 2022 में पहले चार महीनों के दौरान सभी ग्रह केतु और राहु के बीच गोचर करेंगे जो आम जनता के लिए बहुत कठिन अवधि होगी।
ग्लोबल फाउंडेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस की चेयरपर्सन डॉ. शैफाली गर्ग ने बताया कि वर्ष 2022 में राहु- केतु भी अपनी राशि बदलने वाले हैं जो करीब डेढ़ वर्ष के बाद अपनी राशि बदलेंगे। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु दोनों को ही छाया ग्रह का दर्जा हासिल है। ये दोनों ग्रह हमेशा ही उल्टी चाल यानी वक्री गति से चलते हैं और किसी एक राशि से दूसरी राशि में आने के लिए करीब डेढ़ वर्षों का समय लगाते हैं। राहु 12 अप्रैल 2022 को वृषभ राशि की अपनी यात्रा को समाप्त करते हुए मेष राशि में गोचर करने वाले हैं। केतु ग्रह भी इस दिन तुला राशि में प्रवेश करेंगे। राहु को दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं का कारण माना जाता है। दूसरी ओर, केतु आपको आपके पिछले कर्मों का फल देगा। ये दोनों ग्रह अप्रत्याशित हैं और शनि की तरह ही बहुत शुभ या बहुत ही अशुभ परिणाम देते हैं।
शनि के उपाय
ग्लोबल फाउंडेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस की चेयरपर्सन डॉ. शैफाली गर्ग ने शनि देव की नकारात्मक ऊर्जाओं से छुटकारा पाने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपायों की सलाह दी है;
शनि का प्रार्थना मंत्र —
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्षः शिवप्रियः।
मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः।।
शनि के इस महामंत्र का जाप करने से शनिदेव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को मंदिर में पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनिवार को काले कुत्ते को रोटी में सरसों का तेल लगाकर खिलाएं, ऐसा करने से शनि देव बहुत जल्दी प्रसन्न होकर अच्छे फल देने लगते हैं। मंगलवार को हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह निडर आत्मविश्वास विकसित करता है। शनिदेव कर्म के हिसाब से फल देते हैं, इसलिए अच्छे कर्म करें जरूरतमंदों की मदद करें और बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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