Jyotish Shastra: सूर्यदेव को ऐसे चढ़ा दें जल और बोल दें ये मंत्र, आपकी किस्मत जाग जाएगी

Jyotish Shastra: सूर्यदेव कलयुग के साक्षात देवता माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहों के राजा हैं। वो मनुष्य के मान-सम्मान के कारक भी हैं। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में होता है, उन्हें बड़ी सफलताएं मिलती हैं। वहीं जिनकी कुंडली में सूर्य अशुभ हो तो उन लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी मनचाही सफलता नहीं मिल पाती है। सूर्यदेव को नियमित रुप से जल चढाने पर कुंडली के सभी दोष दूर होते हैं। साथ ही इंसान धनवान बनता है। लेकिन सूर्यदेव को जल अर्पित करते समय कुछ गलतियां कर दी जायें तो सूर्यदेव प्रसन्न नहीं होते हैं। अगर आप भी नियमित रुप से सूर्यदेव को रोजाना जल चढ़ाते हैं तो आप सूर्यदेव से जुड़े खास नियमों का पालन अवश्य करें। जिससे आप आसानी से सूर्यदेव को प्रसन्न कर पाएं। तो आइए जानते हैं सूर्यदेव को जल देने से जुड़े कुछ खास नियमों के बारे में...
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- सूर्यदेव को ब्रह्ममुहूर्त में जल चढ़ाना सबसे शुभ होता है। आप अगर ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो सुबह 08 बजे से पहले सूर्यदेव को जल चढ़ा दें। इसके बाद जल चढ़ाने पर उसका पुण्य नहीं मिलता।
- सूर्यदेव को हमेशा तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। स्टील, लोहे, एल्यूमिनियम के बर्तन से जल चढ़ाना अशुभ माना जाता है।
- सूर्य को जल चढ़ाते समय हमेशा अपना मुख पूर्व दिशा की तरफ रखें। इसके अलावा किसी भी दिशा में मुख रखकर जल चढ़ाना शुभ नहीं होता।
- सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय उनके किसी भी मंत्र का जाप करें।
मंत्र
- ऊँ भास्कराय नम:
- ऊँ आदित्याय नम:
- ऊँ सूर्याय नम:
ये सूर्यदेव के खास मंत्र माने जाते हैं।
- सूर्यदेव को जल चढ़ाने के बाद अपने स्थान पर खड़े-खड़े तीन बार परिक्रमा करें। साथ ही उस स्थान को प्रणाम करें, जहां आपने जल चढ़ाया है।
- सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि, जल आपके पैरों को स्पर्श ना करें। इससे बचने के लिए किसी पात्र को जमीन पर रख लें और उसके पश्चात आप जल अर्पित करें। बाद में उस जल को पौधे में डाल दें।
- सूर्यदेव को एक साथ जल चढ़ाने की जगह थोड़ा-थोड़ा करके जल अर्पित करें और 11 बार में उस जल को चढ़ाना चाहिए। साथ ही हर बार उनके मंत्र का जाप भी करते रहें।
- सूर्य को चढ़ाये जाने वाले जल में मिश्री, कुमकुम, लाल फूल अवश्य डाल दें।
- मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव को मीठा जल प्रिय होता है।
- वहीं सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय हाथ हमेशा सिर से ऊपर रखें। इस तरह जल चढ़ाने पर सूर्य की किरणें शरीर को कई लाभ पहुंचाती हैं।
- सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय सीधे जमीन पर खड़े ना हों। ऐसा करना शुभ नहीं होता है। इसीलिए हमेशा आसन के ऊपर खड़े होकर ही सूर्य की उपासना करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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