Kaal Bhairav Jayanti 2022 : काल भैरव जयंती पर जानें उनके स्वरूप, पूजा का लाभ और महत्व

Kaal Bhairava Jayanti 2022 : साल 2022 में काल भैरव जयंती 16 नवंबर 2022, दिन बुधवार को मनायी जाएगी। काल भैरव भगवान शिव का ही प्रचंड स्वरूप हैं और इनके आठ अन्य रूप भी हैं। जिनमें रुरु भैरव, संहार भैरव, काल भैरव, असित भैरव, क्रोध भैरव, भीषण भैरव, महा भैरव और खटवांग भैरव शामिल हैं। मान्यता है कि, काल भैरव के अन्य स्वरूप इनसे ही प्रकट हुए थे। जिन्हें अपने स्वरूप और कार्य के अनुसार ही नाम दिए गए। वहीं भैरव के अन्य भी तीन स्वरूप प्रमुख हैं, जिनमें बटुक भैरव, काल भैरव और आनंद भैरव शामिल हैं। तो आइए जानते हैं भैरव के इन तीन स्वरूप और उनके महत्व के बारे में...
बटुक भैरव
बटुक भैरव इनका सात्विक स्वरूप है और इनकी पूजा-साधना करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और लंबी आयु के साथ-साथ उत्तम स्वास्थ्य, मान-सम्मान और उच्च पद की भी प्राप्ति होती है।
काल भैरव
भैरव का ये स्वरूप तामसिक माना जाता है और इनकी साधना करने से मनुष्य का कल्याण होता है। तथा सभी प्रकार के दुख दूर होते हैं। शत्रु और भय से मनुष्य को मुक्ति मिलती है। काल भैरव को काल का नियंत्रक माना गया है। इनकी पूजा से भक्त के सभी दुख दूर होते हैं, शत्रुओं का प्रभाव खत्म होता है।
आनंद भैरव
भैरव का ये स्वरूप राजसिक स्वरूप है और मां दुर्गा की दस महाविद्याओं के साथ इस स्वरूप की पूजा की जाती है। इस स्वरूप की पूजा करने से धन, धर्म और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
काल भैरव जयंती के दिन बाबा काल भैरव की पूजा करने से अनेक प्रकार के लाभ मनुष्य को प्राप्त होते हैं और उनकी कृपा का लाभ भी व्यक्ति को मिलता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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