kartik mass 2020: जानिए कार्तिक स्नान करने के नियम

kartik mass 2020: शरद पूर्णिमा के बाद कार्तिक मास प्रारंभ होने ही वाला है। कार्तिक माह के दौरान महिलाएं और युवतियां अपने परिवार की मंगलकामना के लिए कार्तिक स्नान करती हैं। कार्तिक माह में प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने का बहुत महत्व होता है। शास्त्रों में कार्तिक माह में पवित्र नदी, सरोवर, तालाब अथवा अपने घर में ही सूर्योदय से पहले स्नान करने का विधान बताया गया है। और वहीं कार्तिक माह के दौरान कुछ कार्यों को ना करने के बारे में भी शास्त्रों में कहा गया है। तो आइए आप भी जानें कि कार्तिक माह में आपको क्या करना चाहिए और नहीं करना चाहिए।
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार पवित्र कार्तिक माह में लोगों के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। और वहीं इस दौरान कुछ कार्य ऐसे बताए गए हैं जिन्हें कार्तिक माह के दौरान नहीं करना चाहिए। तथा कार्तिक स्नान करने वाले लोगों को इन नियमों का पालन जरुर करना चाहिए।
1. कार्तिक माह के दौरान राजसिक और तामसिक भोजन निषेध बताया है। तथा ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक माह में लोगों को धूम्रपान भी नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह में धुम्रपान करना वर्जित है। और लहुसन, प्याज और मांस का सेवन भी कार्तिक मास में निषेध है। इसलिए कार्तिक मास में केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
2. कार्तिक माह में स्नान-दान करने वाले लोगों को बिस्तर का त्याग करना चाहिए। स्नान करने वाले व्यक्ति को धरती पर ही सोना चाहिए।
3. कार्तिक माह के दौरान भगवान भास्कर की उपासना विशेष फल देने वाली होती है। इसलिए कार्तिक स्नान करने के दौरान प्रतिदिन सूर्य की उपासना और सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
4. कार्तिक माह में भोजन में दाल नहीं खाना चाहिए। इस माह के दौरान हरी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए।
5. कार्तिक माह में दोपहर के दौरान शयन करना भी शास्त्रानुकल वर्जित होता है। इसलिए इस दौरान दोपहर में सोना नहीं चाहिए।
6. कार्तिक माह में तुलसी को बिना स्नान किए हाथ ना लगाएं। क्योंकि कार्तिक माह में तुलसी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि तुलसी भगवान श्रीहरि विष्णु को बहुत प्रिय हैं।
इसलिए आप कार्तिक माह में तुलसी पूजन करक भगवान श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। अत: आप कार्तिक माह में तुलसी की आराधना कर सकते हैं।
7.कार्तिक माह में स्नान के बाद तुलसी और भगवान भास्कर को जल अर्पित करने का विधान है। और इस दौरान तुलसी दल के सेवन से निरोगी काया प्राप्त की जा सकती है।
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