Karva Chauth Story: करवा पूजा में रखी जाती सात सींक, जानें क्या है महत्व

karva Chauth Vrat Katha: पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्यवती की कामना करते हुए महिलाएं करवा चौथ का निर्जला उपवास रखती हैं। यह पर्व प्रत्येक साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं व्रत के नियमों का पालन करते हुए व्रत को पूरा करती और करवा माता की कथा पढ़ पति और परिवार की तरक्की की कामना करती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि करवा माता कौन हैं, जिनके नाम पर त्योहार का नाम करवा चौथ पड़ा। जानें क्या है कथा...
पतिव्रता करवा की कहानी
प्राचीन समय में करवा नाम की एक स्त्री अपने पति के साथ के नदी किनारे गांव में रहती थी। उसका पति काफी बूढ़ा हो चुका था। एक दिन करवा का पति नदी में स्नान करने गया उस दौरान एक मगर ने उसे पकड़ लिया। इस पर बूढ़ा व्यक्ति अपनी पत्नी को पुकारने लगा। आवाज सुन पत्नी करवा सहायता के लिए भागकर अपने पति के पास पहुंची और दौड़कर मगर को सूत के कच्चे धागे से आन देकर बांध दिया। मगर को बांधने के बाद करवा यमराज के पास पहुंची।
सात सींकों का महत्व
उस समय यमराज और चित्रगुप्त खाते का लेखा-जोखा देख रहे थे। उसी समय करवा ने सात सींक लेकर खाते को झाड़ना शुरू कर दिया, जिससे खाते आकाश में उड़ने लगे। यह देख यमराज घबरा कर बोले- 'देवी आप क्या चाहती है' करवा ने कहा- 'प्रभु नदी में स्नान करते हुए एक मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है।' आप उस मगर को अपनी शक्ति से नरक लोक ले आओ और मेरे पति को लंबी उम्र प्रदान करो। करवा की बात सुन यमराज बोले- 'देवी अभी मगरमच्छ की आयु शेष है।' ऐसे में मैं आयु रहते हुए मगर को मार नहीं सकता। इस पर करवा ने कहा यदि आप मगर को मारकर मेरे पति की रक्षा नहीं करेंगे, तो मैं आपको शाप देकर खत्म कर दूंगी।'
धमकी से डरे यमराज
करवा की बात सुन यमराज डर गए और वे करवा के साथ भू लोक गए। यमराज ने मगर को मारकर करवा के पति की रक्षा कर उसे दीर्घायु होने का वरदान दिया। इसके साथ ही यमराज ने वरदान दिया कि जो स्त्री इस दिन साफ मन से व्रत करेगी, उसके सुहाग की रक्षा मैं करूंगा। इस घटना के बाद से ही करवा चौथ का व्रत करवा के नाम से प्रचलित हो गया।
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