Karwa Chauth 2021: मासिक धर्म के दौरान सुहागिन महिलाएं कैसे करें करवा चौथ व्रत, जानें पूजा की संपूर्ण विधि

Karwa Chauth 2021: पौराणिक कथाओं के अनुसार महिलाओं (women) के लिए मासिक धर्म (period Time) का विधान भगवान शिव और मां पार्वती (Lord Shiva And maa Parvati) के दिशा-निर्देश पर बनाया गया था। साथ ही कुछ नियम भी इसके लिए निर्धारित किए गए थे। जिनका अनु्सरण महिलाएं इन दिनों के दौरान कर सकती हैं। मनुस्मृति और भविष्य पुराण में भी इन नियमों का उल्लेख मिलता है। पहले दिन से लेकर के चौथे दिन तक महिलाएं अशुद्ध रहती हैं और चौथे दिन स्नान करने के बाद ही महिलाएं शुद्ध होती हैं, लेकिन पूजन के योग्य महिलाए सात दिनों में ही होती हैं।
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भगवद महापुराण की कथा के अनुसार देवराज इंद्र अपनी सभा में बैठे हुए थे। उसी समय देवताओं के गुरु बृहस्पति वहां पर आये। अंहकार में देव गुरू बूहस्पति के सम्मान में इंद्र उठकर खड़े नहीं हुए। देव गुरु बृहस्पति ने इसे अपना अपमान समझा। और देवताओं को छोड़ करके हीं चले गए। देवताओं ने विश्वरूप को अपना पुरोहित बना लिया और अपना काम चलाना पड़ा। किन्तु विश्वरूप कभी-कभी छिपकर असुरों के यज्ञ में भी भाग लिया करते थे। इस बात पर कुपित होकर इंद्र ने विश्वरूप का मस्तक काट डाला। गुरु की हत्या करने से बहुत बड़ा पाप लगता है।
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इंद्र ने इस पाप के प्रायश्चित के लिए भगवान विष्णु का कठोर तप किया। इंद्र के पाप को चार भागों में विभक्त कर दिया गया। पहला भाग पेड़ों में, दूसरा भाग जल में, तीसरा भाग भूमि में और चौथा भाग यानि अंतिम भाग स्त्रियों के मासिक धर्म में समाहित कर दिया गया। महिलाओं को हर माह होने वाला मासिक धर्म उसी पाप का एक हिस्सा है।
शास्त्रों में जो उल्लेख मिलता है उसके अनुसार मासिक धर्म के दौरान धार्मिक कार्य पूजन-पठ आदि नहीं करना चाहिए। भोजन भी नहीं बनाना चाहिए। भोजन को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। और शास्त्रों में बिस्तर आदि को भी इस दौरान स्पर्श करने से मना किया गया है। इस दौरान पति का संग नहीं करना चाहिए। मंदिर नहीं जाना चाहिए। देवताओं का पूजन-अर्चन नहीं करना चाहिए। गुरू और बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करके उन्हें स्पर्श नहीं करना चाहिए।
लोक मान्यताओं के अनुसार ऐसे कार्य वर्जित हैं। कुछ लोक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान अचार आदि को भी हाथ नहीं लगाना चाहिए। इससे अचार खराब हो जाता है। पेड़-पौधों में पानी डालने से पेड़-पौधे सूख जाते हैं। इस दौरान श्रृंगार भी नहीं करना चाहिए। और वहीं दूसरी ओर इस दौरान जमीन पर शयन करना चाहिए। इस दौरान घर से बाहर कदम नहीं रखना चाहिए।
महिला पर ऐसा करने से बुरी नजर और बुरा प्रभाव मासिक धर्म के दौरान नियमों का पालन नहीं करने से हो जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन ये सिर्फ एक शारीरिक क्रिया है।
वैज्ञानिकों ने इस दौरान महिलाओं के साथ अछूतों जैसा व्यवहार करना गलत बताया है। लेकिन धर्म और विज्ञान एक -दूसरे के पूरक हैं। और धर्म में जो भी नियम लिखे गएए हैं वो वैज्ञानिकता की कसौटी पर ही लिखे गए हैं। इसलिए मासिक धर्म के दौरान पूजन-पाठ करना वर्जित बताया गया है।
यदि आप किसी व्रत को करती हैं और अचानक मासिक धर्म की स्थिति निर्मित हो जाती है तो व्रत तो आपको करना चाहिए। लेकिन आपको उस दौरान भगवान को स्पर्श नहीं करना चाहिए। भगवान का पूजन-अर्चन-वंदन नहीं करना चाहिए। साथ ही पूजा-पाठ से संबंधित किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाना चाहिए।
यदि आप करवा चौथ का व्रत रखती हैं और करवा चौथ के व्रत के कुछ दिन पहले अथवा इसके आसपास आपको मासिक धर्म की स्थिति निर्मित हो चुकी है तो पूजन-पाठ नहीं करें। केवल व्रत आवश्यक रूप से रखें और अपने पतिदेव के द्वारा चंद्रमा का पूजन आप करवा सकती हैं और भगवान गणेश का पूजन भी आप अपने पतिदेव के द्वारा ही करवा सकती हैं।
वहीं आप अपने पतिदेव का पूजन स्वयं करें। और चंद्रमा का दर्शन करके उनको दूर से ही प्रणाम करें। इस प्रकार आपको पूजन-अर्चन में हिस्सा नहीं लेना है। केवल व्रत ही आपको करना चाहिए।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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