Karwa Chauth 2022: करवा चौथ व्रत करने से वृद्ध महिलाओं को भी होती है ऐसी अनुभूति, जानें इस Vrat के ये अनसुने प्रभाव

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ व्रत करने से वृद्ध महिलाओं को भी होती है ऐसी अनुभूति, जानें इस Vrat के ये अनसुने प्रभाव
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Karwa Chauth 2022: हिन्दू धर्म में अनेक व्रत और त्योहार प्रचलन में हैं, इन व्रत और त्योहार के माध्यम से लोग अपने घर में अनेक प्रकार के व्रत-उपवास और अनुष्ठान करते हैं, जिससे घर का वातावरण सकारात्मक रहता है और परिवार पर दैवीय कृपा बरसती है। उन्हीं व्रत और उपवास में से एक व्रत है करवा चौथ का व्रत।

Karwa Chauth 2022: हिन्दू धर्म में अनेक व्रत और त्योहार प्रचलन में हैं, इन व्रत और त्योहार के माध्यम से लोग अपने घर में अनेक प्रकार के व्रत-उपवास और अनुष्ठान करते हैं, जिससे घर का वातावरण सकारात्मक रहता है और परिवार पर दैवीय कृपा बरसती है। उन्हीं व्रत और उपवास में से एक व्रत है करवा चौथ का व्रत। जोकि कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष के दौरान आने वाली चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है। वैसे तो कार्तिक मास भगवान श्रीहरि विष्णु का प्रिय मास है और इस मास में अनेक व्रत और त्योहार आते हैं, यानि कार्तिक मास का हर दिन एक व्रत और त्योहार कहा जा सकता है, क्योंकि इस मास में कुंवारी कन्या और महिलाएं अपने परिवार की मंगलकामनाओं और सुखी दांपत्य जीवन की इच्छा से प्रतिदिन कार्तिक स्नान करती है, लेकिन वहीं इस मास की शुरुआत में पड़ने वाला करवा चौथ व्रत कई दृष्टि से बहुत खास माना जाता है।

करवा चौथ व्रत में सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे दिन निराहार व्रत करके रात्रि में चंद्रोदय के समय चंद्रमा की पूजा करके उसे अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से थोड़ा जल पीकर व्रत का पारण करती हैं।

पौराणिक मान्यता है कि, इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं के पति की आयु में वृद्धि होती है और उन्हें सुखी दांपत्य जीवन का आनंद मिलता है।

कहा जाता है कि, करवा चौथ व्रत के प्रभाव से सुहगिन स्त्रियां पूरे साल नवयौवना की भांति सुंदर दिखायी पड़ती हैं, क्योंकि इस व्रत को करने से उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ देवी रति और कामदेव से भी नवयौवन का वरदान प्राप्त होता है।

कहा जाता है कि, व्रत और देवी रति व कामदेव के आशीर्वाद के प्रभाव के कारण ही इस दिन वृद्धावस्था को प्राप्त हो चुकी सुहागिनें भी जब 16 श्रृंगार करके पूरी श्रद्धा के साथ व्रत करती हैं तो एक बार उनमें भी कामक्रीड़ा की इच्छा जाग्रत हो जाती है और वो भी अपने जीवनसाथी के पास आनंद के पल व्यतीत करने के लिए जाती हैं।

करवा चौथ व्रत अनेक प्रकार से बहुत महत्वपूर्ण है। इस व्रत में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है और साथ ही चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। चंद्रमा की पूजा करने से मन शांत होता है और शांत मन ही आनंद की अनुभूति करता है, शांत मन में ही प्रेम की तरंगें हिलोरें लेती हैं और वैवाहिक जीवन के सुख का अनुभव मिलता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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