Kharmas 2020-21: खरमास प्रारंभ और समाप्त होने की तिथि, ये है कथा और उपाय

Kharmas 2020-21: खरमास प्रारंभ और समाप्त होने की तिथि, ये है कथा और उपाय
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Kharmas 2020-21: अब कुछ ही दिनों के बाद खरमास आरंभ होने वाला है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास का अशुभ माना जाता है।

Kharmas 2020-21: अब कुछ ही दिनों के बाद खरमास आरंभ होने वाला है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास का अशुभ माना जाता है।

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खरमास के शुरू होते ही मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। सूर्य का धनु राशि में प्रवेश होना ही खरमास कहलाता है। सूर्य का धनु राशि में गोचर आरंभ होते ही खरमास लग जाएगा। सूर्य का राशि परिवर्तन धनु संक्राति के नाम से भी जाना जाता है। खरमास में विवाह, मांगलिक और शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। खरमास में घर में नई चीजों को भी खरीदकर नहीं लाया जाता है। वाहन, मकान, दुकान, कीमती आभूषण या महंगे गजट आदि खरीदने का विचार कर रहे हैं तो आप खरमास शुरू होने से पहले ही खरीद लें।


खरमास शुरू और समाप्त होने की तिथि

  • 15 दिसंबर 2020 से शुरू हो रहा खरमास।
  • मकर संक्रांति 14 जनवरी 2021 के दिन खरमास का समापन हो जाएगा।

इसलिए आपको जो भी खरीदारी आदि करनी है वो आप 15 दिसंबर 2020 से पहले ही कर लें। क्योंकि खरमास के दौरान नई चीजें खरीदना अशुभ माना जाता है। लेकिन खरमास के दौरान धार्मिक तीर्थ यात्रा करना बहुत शुभ माना जाता है। क्योंकि खरमास का समापन मकर संक्रांति के दिन होता है। और मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2021 को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति का विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही मांगलिक और शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे।

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खरमास को अशुभ मानने के कारण

एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्राह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। इस दौरान उन्हें कहीं पर भी रूकने की इजाजत नहीं थी। यदि इस दौरान वो रूक जाते तो जनजीवन भी ठहर जाता। परिक्रमा शुरू की गई लेकिन लगातार चलते रहने के कारण उनके रथ में जुते घोड़े थक जाते हैं। और घोड़ों को प्यास लग जाती है। घोड़ों की उस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव को उनकी चिंता हो गई। और वो घोड़ों को लेकर एक तालाब के किनारे चले गए। ताकि घोड़ों को पानी पिला सकें। लेकिन उन्हें तभी यह आभास हुआ कि अगर रथ रूका तो अनर्थ हो जाएगा। क्योंकि रथ के रूकते ही पूरा जनजीवन भी ठहर जाता। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य ही था कि उस तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे। और खर गधे को कहा जाता है। भगवान सूर्यदेव की नजर उन गधों पर पड़ी और उन्होंने अपने घोड़ों को वहीं तालाब के किनारे पानी पीने और विश्राम करने के लिए छोड़ दिया। और घोड़ों की जगह पर खर यानि गधों को अपने रथ में जोड़ लिया। लेकिन खरों के चलने की गति धीमी होने के कारण रथ की गति भी धीमी हो गई। फिर भी जैसे तैसे एक मास का चक्र पूरा हो गया। उधर तब तक घोड़ों को काफी आराम मिल चुका था। इस तरह यह क्रम चलता रहता है। और हर सौर वर्ष में एक सौर मास खर मास कहलाता है। जिसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है।

खरमास के उपाय

  • खरमास के महीने में भागवत गीता, श्रीराम की कथा, पूजा, कथावाचन, और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • दान, पुण्य, जप, और भगवान का ध्यान लगाने से कष्ट दूर हो जाते हैं।
  • इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है।
  • शिवजी के अलावा मलमास में भगवान विष्णु की पूजा भी फलदायी मानी जाती है।
  • खरमास के महीने में सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
  • ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तांबे के लोटे में जल, रोली, लाल पुष्प डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। ऐसा करना बहुत शुभ फलदायी होता है।

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