जानिए खेचरी मुद्रा और ध्यान के नियम और लाभ

जानिए खेचरी मुद्रा और ध्यान के नियम और लाभ
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खेचरी मुद्रा के द्वारा जल्द से जल्द ही ध्यान में जाया जा सकता है। यानि मनुष्य का मन बाहरी वातावरण से हटकर अपने आप में लीन हो जाना ही ध्यान कहलाता है। यानि किसी कार्य में व्यक्ति इतना लीन हो जाए कि उसे उस समय का और उस वातावरण का ही ध्यान ना रहे। ध्यान का संबंध हमारी सांसों से है।

खेचरी मुद्रा के द्वारा जल्द से जल्द ही ध्यान में जाया जा सकता है। यानि मनुष्य का मन बाहरी वातावरण से हटकर अपने आप में लीन हो जाना ही ध्यान कहलाता है। यानि किसी कार्य में व्यक्ति इतना लीन हो जाए कि उसे उस समय का और उस वातावरण का ही ध्यान ना रहे। ध्यान का संबंध हमारी सांसों से है। जितना ही आप ध्यान की गहराई में उतरेंगे उतना ही आपकी सांसें स्लो होती चली जाएंगी। यानि आपकी सांसों की गति धीमी होती चली जाएगी। इसलिए सांसों पर नियंत्रण ही ध्यान में जाने की सीढ़ी माना जाता है। इसलिए आप भी जानें अर्ध खेचरी मुद्रा द्वारा ध्यान में जाने के बारे में जरुरी बातें।

1. खेचरी मुद्रा द्वारा ध्यान में जाने के लिए एक शांत कमरे का चुनाव करें। और ढीले और स्वच्छ वस्त्र पहनकर किसी भी आसन में बैठ जाएं। और इसके बाद आंखें बंद करके अपने मुख को बंद कर लें और अपने दांतों को दबा लें तथा अपनी जीभ को ऊपर की उठाकर मोड़ लें। इस मुद्रा को अर्ध खेचरी मुद्रा कहते हैं। और अपनी जीभ को अगर आप तालुए की तरफ खींचेंगे तो इसे पूर्ण खेचरी मुद्रा कहा जाता है। लेकिन ध्यान में जाने के लिए आपको अपनी जीभ को ऊपर की तरफ मोड़ना है। यानि अर्ध खेचरी मुद्रा में ही जाना है।

अर्ध खेचरी मुद्रा के बाद अब आप अपने आज्ञाचक्र पर यानि दोनों आंखों के मध्य में पंच करें, जिससे की उस स्थान पर हल्का सा दर्द हो। और इसके बाद आज्ञाचक्र की तरफ अपना ध्यान देने की कोशिश करें। यह अभ्यास कम से कम पांच मिनट तक प्रतिदिन करें। इस अभ्यास से सांसों की गति तुरन्त धीमी हो जाती है। और मन विचार शून्य होने लगता है। तथा यह अभ्यास प्रतिदिन नियमित रूप से करना चाहिए। इस अभ्यास को करने से आपको बेहिसाब लाभ होने लगता है।

कुछ ही दिनों के इस अभ्यास से पाएंगे कि आप ध्यान की ऊंचाईयों की तरफ सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने लगे हैं।

खेचरी मुद्रा और ध्यान के नियम

इस अभ्यास को स्त्री अथवा पुरूष कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

2. अभ्यास के दौरान ढील वस्त्र पहनें।

3. इस अभ्यास को किसी भी समय पर किया जा सकता है।

4. भोजन के तुरंत बाद यह अभ्यास ना करें। भोजन के बाद कम से कम एक घंटा बाद इस अभ्यास को करें।

5.अपने भोजन में फल, सब्जी और दूध का सेवन ज्यादा करें।

6.अंडा और मांसाहार भोजन ना करें।

7.धूम्रपान और मदिरा का सेवन ना करें।

खेचरी मुद्रा और ध्यान के लाभ

1. खेचरी मुद्रा और ध्यान के अभ्यास से मन शांत होने लगता है। और आपका अपने मन पर नियंत्रण होने लगता है।

2. खेचरी मुद्रा और ध्यान के अभ्यास से पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार होने लगता है।

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