भजन-कीर्तन में क्यों बजाई जाती है ताली, जानें क्या है इसकी पौराणिक कथा

Taali Bajane Ka Mahatva: अक्सर आपने देखा होगा मंदिरों में लोग पूजा या कीर्तन-भजन करते समय ताली बजाते हैं। मंदिर में आरती और कीर्तन करते समय ताली बजाने का परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि ताली बजाने की शुरुआत भक्त प्रहलाद ने की थी, क्योंकि प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप ने उनसे नाराज होकर सारा वाद्य यंत्रों को नष्ट कर दिया था। तब से भक्त प्रहलाद ने भजन कीर्तन करते समय ताली बजाना शुरू किया था। इसके बाद से ही और लोगों ने भजन में ताली बजाने लगे। लेकिन क्या आपको पता है भजन या कीर्तन में ताली क्यों बजाया जाता है, इसका महत्व क्या है। अगर नहीं तो कोई बात नहीं, आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र में ताली बजाने के महत्व और लाभ बताया गया है।
ताली बजाने का क्या है धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में जब भी कोई मंदिर जाता है और भजन कीर्तन करता है, तो उसमें ताली बजाते हैं। ऐसा करने के पीछे ये मान्यता है कि जब भी कोई जातक मंदिर में कीर्तन या आरती करते समय ताली बजाता है, तो वो सब पापों से मुक्त हो जाता है। एक ऐसी भी मान्यता है कि पौराणिक काल में ज्यादा वाद्य यंत्र नहीं हुआ करता था। इसलिए अधिकतर लोग ताली बजाकर ही भगवान की भजन और कीर्तन किया करते थे।
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ऐसी मान्यता है कि ताली बजाने को एक प्रकार का सहज योग भी माना गया है। अगर कोई जातक नियमित रूप से प्रतिदिन ताली बजाता है, तो उसे सभी रोगों से मुक्ति मिल सकती है। इसके साथ ही उस जातक की शरीर में सकारात्मक ऊर्जाओं का संचार होने लगता है।
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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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