आखिरकार भगवान शिव के हाथ में क्यों है त्रिशुल, जानें उनकी वेशभूषा से जुड़े रहस्य

Lord Shiva: हिंदू धर्म में भगवान भोलेनाथ को देवों के देव महादेव कहा जाता है। यानी की भगवान सभी देवताओं में उतने ही पूज्य हैं, जितना सभी जीव-जंतुओं में। भगवान शिव के पास असीम शक्तियां हैं, फिर भी भगवान शिव की वेशभूषा सभी देवताओं से अलग और साधारण है। क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है। अगर नहीं तो आज इस खबर में बताएंगे कि आखिर क्यों भगवान शिव की वेशभूषा अन्य देवताओं से अलग है। इसके साथ ही वह गले में सांप क्यों पहनते हैं, हाथों में त्रिशूल क्यों रखते हैं और माथे पर चंद्रमा क्यों विराजमान है।
क्यों है महादेव के माथे पर चंद्रमा विराजमान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि राजा दक्ष की 60 पुत्रियां थी। राजा दक्ष की 27 पुत्रियों से अकेले चंद्रदेव का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा अपनी 27 पत्नियों में रोहिणी को सबसे ज्यादा प्रेम और स्नेह देते थे, बाकि 26 पत्नियां उनसे नाराज रहती थीं। कहा जाता है कि राजा दक्ष उन 26 पुत्रियों की नाराजगी देखकर रुष्ट हो गए और चंद्र देव को क्षय रोग का श्राप दे दिया। बताया जाता है कि क्षय रोग से मुक्ति पाने के लिए चंद्र देव ने महादेव की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्ति करा दिया। इसके साथ ही भगवान शिव ने चंद्र देव की भक्ति और निष्ठा से प्रसन्न होकर उन्हें अपने मस्तक पर स्थान दे दिया।
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क्यों है हाथ में त्रिशूल
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के उद्भव के साथ ही रज, तम और सत नामक तीन गुण भी पैदा हुए थे। ऐसी मान्यता है कि महादेव का त्रिशूल इन्हीं तीनों गुणों का प्रतीक है। इसके साथ ही एक और मान्यता है कि भगवान शिव का त्रिशूल जन्म, पालन-पोषण और मृत्यु का सूचक होता है।
क्यों है गले में सांप विराजमान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान शिव के गले में विराजमान नागराज वासुकी हैं। वे भगवान शिव के परम भक्तों में से एक थे। ऐसी मान्यता है कि जब देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब उस समय वासुकी नागराज को रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था। वासुकी की इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने गले में ही धारण कर लिया।
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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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