Krishna Janmashtami 2023 Kab Hai: कृष्ण जन्माष्टमी 2023 में कब है?, इस बार मनाई जाएगी 5250वीं जयंती

Krishna Janmashtami 2023 Kab Hai: कृष्ण जन्माष्टमी 2023 में कब है?, इस बार मनाई जाएगी 5250वीं जयंती
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हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार का बहुत महत्व है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे भारत देश समेत दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है।

Krishna Janmashtami 2023 Kab Hai: भारत में हर साल कृष्ण जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, श्री कृष्ण जयंती और जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार का बहुत महत्व है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे भारत देश समेत दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है। भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और वृंदावन में है, जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में है। इस साल भगवान कृष्ण की 5250वीं जयंती मनाई जाएगी।

कृष्ण जन्माष्टमी का क्या है महत्व

जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर मनाई जाती है।वैदिक कैलेंडर के अनुसार, 2023 में भगवान कृष्ण की 5250वीं जयंती है। अधिकांश कृष्ण मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन और द्वारका के ऐतिहासिक शहरों में कृष्ण जन्माष्टमी को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान कृष्ण के अलावा, भगवान कृष्ण के माता-पिता यानी वासुदेव और देवकी, भगवान कृष्ण के पालक माता-पिता यानी नंद बाबा और यशोदा मांं, भगवान कृष्ण के भाई-बहन यानी बलभद्र (भगवान बलराम) और सुभद्रा की भी जन्माष्टमी के दौरान पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण के पूरे परिवार की पूजा होती है।

2023 mein Janmashtami Kab Hai Date & Time

कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख और समय (Janmashtami Date & Time)

कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख और दिन- 6 सितंबर 2023 (बुधवार)

पूजा का समय रात 11:57 पीएम से 12:42 AM तक

कुल अवधि - 46 मिनट

कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत नियम (Fasting Rules On Krishna Janmashtami)

जन्माष्टमी के व्रत में अन्न नहीं खाना चाहिए। जन्माष्टमी के व्रत में एकादशी व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। पारण अर्थात व्रत तोड़ना उचित समय पर करना चाहिए। कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।

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