Kumbh Mela 2021: कुंभ मेले के दौरान निश्चित रुप से करें यह काम, समस्त इच्छाएं होंगी पूरी

- हरिद्वार में कुंभ के पावन अवसर पर आप गंगा आरती एवं दीप दान करें।
- हिन्दू धर्म में कुंभ का समय बहुत ही पावन माना जाता है।
- गंगा के पावन तट पर 24 ब्राह्मण 24 वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं और उसके बाद गंगा आरती करते हैं।
Kumbh Mela 2021: हिन्दू धर्म में कुंभ (Kumbh) का समय बहुत ही पावन माना जाता है। कुंभ के दौरान गंगा आरती और दीपदान का बहुत महत्व माना जाता है। गंगा के पावन तट पर 24 ब्राह्मण 24 वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं और उसके बाद गंगा आरती करते हैं। कई स्थानों पर संस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद देवताओं की झांकियां भी आयोजित की जाती हैं। इस दौरान भक्त अपने घरों को सजाते हैं और रंगीन रंगोली तैयार करते हैं।
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सदियों से गंगा किनारे यह उत्सव एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा नदी को सदैव से ही पवित्र एवं पूजनीय माना गया है। कुंभ का समय बहुत ही पावन माना जाता है। इस दौरान गंगा आरती के बाद दीपदान करने से समस्त प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इस प्रकार दीपदान करने वाले भक्तों के घर किसी भी प्रकार के दुख का वास नहीं होता है। ऐसा करने वाले लोगों की समस्त विदाओं और बाधाओं का निवारण स्वयं ही हो जाता है।
कुंभ में ये काम जरुर करें
कुंभ के दौरान पवित्र जल में डुबकी लगाएं। कुंभ मेला हमेशा ही पवित्र नदी के किनारे लगता है। प्रयागराज में यह त्रिवेणी संगम नामक स्थान पर जहां (गंगा, यमुना और सरस्वती) नदियों का संगम है। हरिद्वार में यह गंगा नदी के किनारे लगता है। वहीं उज्जैन में क्षिप्रा नदी और नासिक में यह गोदावरी नदी के तट पर लगता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग कुंभ में यात्रा करने के लिए पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं।
अखाड़े का दौरा करें
कुंभ मेले में भाग लेने वाले लगभग 13 अधिकारिक अखाड़े हैं। हालांकि उन अखाड़ों की कई शाखाएं भी हैं। विशेष रूप से सबसे बड़ा जूना अखाड़ा है। इन 13 अखाड़ों के अलावा साधुओं के कई अन्य समुदाय, आध्यात्मिक संगठन, और त्यागियों के समूह में भाग लेते हैं।
नागा साधुओं से मिलें
नागा साधु कुंभ मेले के विशेष प्रतीक बन गए हैं। वे बड़ी मंडली का एक छोटा हिस्सा हैं। पहली बार उनकी उपस्थिति आपको दूर दिख सकती है लेकिन उनमें से अधिकांश लोग आपसे बातें करने के लिए उत्सुक हो सकते हैं।
कुंभ मेले को कहानीकारकों के मेले के रुप में भी देखा जा सकता है। कुंभ मेले में साधु, गुरू, आचार्य सत्र लेते हैं, जहां वे भारतीय धर्मग्रंथों से कहानियां सुनाते हैं। उनमें से कुछ इसे अपनी अभ्यस्त कहानी मोड़ में भी बताते हैं। जबकि अन्य इसमें गायन और संगीत के साथ करते हैं। जब भी आप मेले में होते हैं तो आप चल रहे कहानी सत्र से कभी दूर नहीं होते हैं। वहां आप बैठकर बस उन कहानियों को सुनें जोकि पुरातन ज्ञान और जीवन के सबक से भरी हुई हैं।
यदि आप भारत में रहते हैं तो आप रामायण, महाभारत या भागवद पुराण जैसे धर्मग्रंथों की कहानियों से परिचित हो सकते हैं। इन कहानियों की सुन्दरता यह है कि आप इन कहानियों को जितना अधिक जानते हैं आपको उसी कहानी का एक नया दृष्टिकोण सुनने में उतना ही मजा आएगा।
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कुंभ मेले के दौरान आप शहर के भंडारों में भोजन करें। शहर के सभी प्राचीन मंदिरों के दर्शन करके पुण्य लाभ प्राप्त करें। सभी मंदिरों की आप हो सके तो पैदल यात्रा करें। वहीं दूसरी ओर प्रयागराज और उज्जैन में आप कई प्राचीन मंदिरों को कवर करते हुए इन शहरों के पवित्र भूगोल के आसपास की जाने वाली लोकप्रिय पंचकोशी यात्रा कर सकते हैं। इसमें आमतौर पर पैदल यात्रा की जाती है। हालांकि आप इस यात्रा को किसी वाहन पर भी कर सकते हैं।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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