Sundarkand Paath: जीवन से सभी समस्याओं को दूर करने के लिए करें सुंदरकांड का पाठ, जानिए इससे जुड़े कुछ खास नियम

Sundarkand Paath: जीवन से सभी समस्याओं को दूर करने के लिए करें सुंदरकांड का पाठ, जानिए इससे जुड़े कुछ खास नियम
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Sundarkand Paath: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्री राम भक्त हनुमान जी की कृपा पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। इस पाठ को करने से आपके घर में किसी भी प्रकार की बाधाएं नहीं आती हैं। तो आइए जानते हैं सुंदरकांड का पाठ करने का सही समय क्या है।

Sunderkand Paath Ke Niyam: हिंदू धर्म में पूजा पाठ का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महाबली हनुमान जी को मंगलवार के दिन विधिवत पूजा-पाठ करने का खास महत्व माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बजरंग बली की विधि-विधान से पूजन करने से सारे विघ्न-बाधाएं खत्म हो जाती हैं। इसके साथ ही इच्छापूर्ति फल की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त हनुमान जी के पथ पर चलते हैं, उनको किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी को अमरता का वरदान है। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी हमारे बीच इस धरती पर आज भी मौजूद हैं। शास्त्रों के अनुसार, आठों सिद्धियों और नौ निधियों के दाता के आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। इस पाठ को करने से भगवान हनुमान अपने भक्तों पर बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं सुंदरकांड का पाठ एक दिन में कितनी बार करना चाहिए और इस पाठ को करने से क्या लाभ मिलता है।

कौन से दिन करें सुंदरकांड का पाठ


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ मंगलवार व शनिवार के दिन करने से भगवान हनुमान जी जल्द ही अपने भक्तों पर खुश हो जाते हैं। ऐसे आप इस पाठ को हर रोज कर सकते हैं।

सुंदरकांड का पाठ करने का सही समय


शास्त्रों के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ करने का सही समय तड़के 4 बजे से 6 बजे यानी ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना बेहद ही फलदायी माना जाता है। इसके साथ ही अगर आप सुंदरकांड का पाठ समूह में करना चाहते हैं तो ये और भी अच्छा है। इससे आपके घर में कभी भी किसी प्रकार की समस्या नहीं आ सकती है।

क्या हैं सुंदरकांड पाठ करने के नियम


पौराणिक मान्यताओं के अनुासर, सुंदरकांड का पाठ आप 11, 21, 31, 41 दिनों तक कर सकते हैं। मान्यता है कि सुंदरकांड पाठ करने से पहले बजरंगबली की मूर्ति स्थापित करें। लेकिन ध्यान रहे हनुमान जी की मूर्ति ऐसी होनी चाहिए जिसमें भगवान राम और माता सीता व लक्ष्मण की भी मूर्ति हो। मूर्ति स्थापित करने से बाद शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं। इसके बाद हनुमान जी के चरणों में 7 पीपल के पत्ते अर्पित करें। और साथ ही लड्डू का भोग लगाएं। तब जाकर अंत में सुंदरकांड का पाठ करें।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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