Lohri 2022: लोहड़ी के दिन दुल्ला-भट्टी को क्यों याद करते हैं लोग, जानें इसकी सही वजह और सरल पूजाविधि

Lohri 2022: लोहड़ी के दिन दुल्ला-भट्टी को क्यों याद करते हैं लोग, जानें इसकी सही वजह और सरल पूजाविधि
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Lohri 2022: लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल+रोड़ी से मिलकर बना है। जोकि वर्तमान समय में बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। भारतवर्ष में ऋतुओं के अनुसार, पतझड़, सावन और बसंत में कई तरह के पर्व मनाने का विधान है। उन्हीं पर्वों में से एक प्रमुख पर्व लोहड़ी पर्व है।

Lohri 2022: लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल+रोड़ी से मिलकर बना है। जोकि वर्तमान समय में बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। भारतवर्ष में ऋतुओं के अनुसार, पतझड़, सावन और बसंत में कई तरह के पर्व मनाने का विधान है। उन्हीं पर्वों में से एक प्रमुख पर्व लोहड़ी पर्व है। जोकि पौष माह में मनाया जाता है। इसके अगले दिन मकर संक्रांति मनायी जाती है। तो आइए जानते हैं कि लोहड़ी के दिन दुल्ला-भट्टी को क्यों याद करते हैं लोग और इस पर्व की पूजाविधि के बारे में...

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मकर संक्रांति के पर्व से एक दिन पहले लोहड़ी का का पर्व संपूर्ण देशभर में मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य का मकर राशि में गोचर होने के कारण 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनायी जाएगी। वहीं लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा।


लोहड़ी के पर्व को शाम के समय मनाने का विधान है। लोहड़ी के दिन मूंगफली, गुड़, तिल और गज्जक के साथ में मक्के के दानों का खास प्रयोग किया जाता है। शाम के समय लोग खुली जगह पर लोहड़ी जलाते हैं। अग्नि में मूंगफली, गज्जक, तिल और मक्का के दाने डालकर उस अग्नि की परिक्रमा करते हैं और इस अग्नि के पास खड़े होकर लोकगीत गाते हैं।


इस दिन लोगों में बड़ा ही उत्साह और धूम रहती है। लोहड़ी नवविवाहितों के लिए खास है। लोहड़ी के दिन नवविवाहित जोड़े अग्नि में आहूति देकर अपने सुखी वैवाहित जीवन के लिए ईश्वर से मन्नत मांगते हैं और लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी को याद करते हैं। कहा जाता है कि दुल्ला-भट्टी ने कालांतर में पंजाब की लड़कियों की रक्षा की थी।


लोहड़ी पूजाविधि

लोहड़ी के दिन पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा की जाती है। एक काले कपड़े पर महादेव का चित्र स्थापित करके उसके आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। उसके बाद उन्हें सिंदूर, बेलपत्र तथा रेबड़ियों का भोग लगाएं। फिर सूखे नारियल अथवा गोला लेकर उसमें कपूर डालकर अग्नि जलाकर उसमें रेबड़ी, मूंगफली या मक्का आदि डाली जाती है। इसके बाद इस अग्नि की कम से कम सात बार परिक्रमा जरुर करें। कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि, लोहड़ी श्रीकृष्ण व अग्निदेव के पूजन का भी पर्व है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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