भगवान धनवंतरी का चमत्कारी मंत्र, मंत्र की विधि, नियम आप भी जानें

भगवान धनवंतरी का चमत्कारी मंत्र, मंत्र की विधि, नियम आप भी जानें
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भगवान धनवंतरी को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। और भगवान धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक भी माने जाते हैं। इसलिए चिकित्सा से जुड़े लोगों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। और साथ ही सभी सामान्य व्यक्तियों के लिए भी यह धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि भगवान धनवंतरी के मंत्रों में अथाह शक्ति होती है। और भगवान धनवंतरी के मंत्रों के जाप से व्यक्ति के शरीर में जो कंपन पैदा होता है। वह कंपन शरीर की बड़ी से बड़ी बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखता है। अर्थात भगवान धनवंतरी के मंत्रों में अथाह शक्ति होती है।

धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक भी माने जाते हैं। इसलिए चिकित्सा से जुड़े लोगों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। और साथ ही सभी सामान्य व्यक्तियों के लिए भी यह धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि भगवान धनवंतरी के मंत्रों में अथाह शक्ति होती है। और भगवान धनवंतरी के मंत्रों के जाप से व्यक्ति के शरीर में जो कंपन पैदा होता है। वह कंपन शरीर की बड़ी से बड़ी बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखता है। अर्थात भगवान धनवंतरी के मंत्रों में अथाह शक्ति होती है।

भगवान धनवंतरी के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। उनके मंत्रों में रोगों को जड़ से समाप्त करने की क्षमता होती है। और व्यक्ति की शारीरिक क्षमता में वृद्धि होती है। और व्यक्ति को अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है। और व्यक्ति दुर्घटना से सुरक्षित रहता है। प्रत्येक प्रकार की शारीरिक सुरक्षा भगवान धनवंतरी लोगों को प्रदान करते हैं। भगवान धनवंतरी के मंत्रों का जाप करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं सताती है। लोगों को पुरानी और गंभीर बीमारियों से निजात मिलती है। लोगों की हर तरह की असुरक्षा की भावना दूर हो जाती है।

मंत्र के अभ्यास की विधि

सर्वप्रथम सूर्य अस्त होने के बाद एक तिल के तेल का दीया घर के दक्षिणी भाग में रखें। अगर आप फ्लैट में रहते हैं तो आप जिस कमरे में अभ्यास करेंगे उस कमरे के दक्षिणी भाग में उस दीये को रखें। और आप किसी भी आसन में बैठ जाएं। जो लोग जमीन पर नहीं बैठ सकते ऐसे लोग किसी कुर्सी या सोफा पर बैठ कर अभ्यास कर सकते हैं। और इसके बाद दस बाद धीरे-धीरे सांस लें। और धीरे-धीरे ही सांस को छोड़ें। फिर अपने आज्ञाचक्र का ध्यान करते हुए भगवान धनवंतरी का गोपनीय मंत्र का जाप करें।

मंत्र

ऊं धनवंतरेय सर्व रोग निवारणाय ह्रीं स्वाहा।

आप भगवान धनवंतरी के इस मंत्र का गुदगुदाते हुए जप करें। और इस मंत्र का पांच माला जाप प्रतिदिन करना है। इस मंत्र का 21 दिन से लेकर 41 दिन तक नियमित जाप करना चाहिए। और आप याद रखें कि धनतेरस के दिन आप इस मंत्र का जप करना बिलकुल भी ना भूलें।

यह मंत्र बहुत ही पॉवरफूल माना जाता है। और भगवान धनवंतरी में पूर्ण श्रद्धा होने पर ही इस विधि को अपनाएं। आपको इस मंत्र के जाप करने से जैसे-जैसे सफलता मिलती जाए आप वैसे-वैसे ही अपने विचारों को, अपने स्वभाव को बदलते चलें जाइए। इौर इस अभ्यास के लिए आपको किसी गुरू से दीक्षा लेने की जरुरत नहीं होती है।

इस मंत्र के अभ्यास को धनतेरस के दिन, या किसी भी माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी अथवा किसी भी मंगलवार के दिन से आप शुरू कर सकते हैं। इस मंत्र के अभ्यास को सूर्यास्त के बाद ही करना चाहिए। भगवान धनवंतरी का पूजन दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके ही किया जाता है।

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