Shardiya Navratri 2020: जानिए मां दुर्गा की पहली बार उत्पत्ति का रहस्य

Shardiya Navratri 2020: जानिए मां दुर्गा की पहली बार उत्पत्ति का रहस्य
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Shardiya Navratri 2020: मां दुर्गा के बारे में तो सभी लोग जानते हैं। मां दुर्गा पुण्यात्मा लोगों के घर में लक्ष्मी के रूप में निवास करती हैं और पापियों के घर में दरिद्रता के रूप में निवास करती हैं। शुद्ध अन्त:करण वाले लोगों में बूद्धि के रूप में निवास करती हैं, सतपुरुषों में श्रद्धा के रूप में और कुलीन मनुष्यों में लज्जा के रूप में निवास करती हैं।

Shardiya Navratri 2020: मां दुर्गा के बारे में तो सभी लोग जानते हैं। मां दुर्गा पुण्यात्मा लोगों के घर में लक्ष्मी के रूप में निवास करती हैं और पापियों के घर में दरिद्रता के रूप में निवास करती हैं। शुद्ध अन्त:करण वाले लोगों में बूद्धि के रूप में निवास करती हैं, सतपुरुषों में श्रद्धा के रूप में और कुलीन मनुष्यों में लज्जा के रूप में निवास करती हैं। मां दुर्गा में सत-रज और तमोगुण तीनों विद्धमान हैं। इन्हीं गुणों के कारण मां दुर्गा के तीन रूप बताए गए हैं। सत्वगुण संपन्न महालक्ष्मी, रजोगुण से संपन्न मां सरस्वती और तमोगुण से संपन्न मां महाकाली। इन्हीं मां दुर्गा यानि भगवती महामाया से यह संसार मोहित हो रहा है। ये महामाया बड़े-बड़े ज्ञानी मनुष्यों के मन को खींच कर मोह में डाल देती हैं। और प्रसन्न हो जाने पर मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होने का वरदान भी देती हैं। ये ही सनातनी देवी हैं। और संपूर्ण ईश्वरों की भी अधिश्वरी हैं। ये महामाया महादुर्गा जब देवताओं के किसी कार्य को सिद्ध करने के लिए प्रकट होती हैं। उस समय ये लोक में उत्पन्न हुई कहलाती हैं। तो आइए आप भी जानें कि महामाया मां दुर्गा इस संसार में पहली बार कब उत्पन्न हुई थीं।

एक समय बीतने के बाद हमारी इस सृष्टि का विनाश हो जाता है। अत: हमारी यह पृथ्वी जल में डूब जाती है। और उसके बाद पुन: महामाया द्वारा इस पृथ्वी को जल से बाहर लाया जाता है। और फिर से सृष्टि की रचना की जाती है। इसी प्रकार कल्प के अंत में और सृष्टि की रचना से पहले की बात है तब पृथ्वी जल में डूबी हुई थी। चारों तरफ जल ही जल था। उस समय भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर योगनिद्रा में सो रहे थे। और उनके नाभि कमल पर विराजमान परमपिता ब्रह्मा हजारों वर्ष से अपने ध्यान में मग्न थे। उस समय भगवान विष्णु जी के कान के मैल से मधु और कैटव नाम के दो असुर उत्पन्न हुए। ये दोनों असुर बड़े ही बलशाली थे। इस कारण उनका मन किसी से युद्ध करने को लालायित हो रहा था। तभी उनकी नजर भगवान ब्रह्मादेव पर पड़ी। और वे दोनों गर्जना करके उन्हें ही ललकारने लगे।

असुरों की गर्जना सुनकर ब्रह्माजी का ध्यान भंग हो गया। तब ब्रह्माजी ने युद्ध के लिए उत्सुक उन असुरों का वध करने के लिए भगवान विष्णु को जगाने का निश्चय किया। इसलिए वह भगवान विष्णु के नेत्रों में निवास करने वाली योगनिन्द्रा की स्तुति करने लगे।

परमपिता ब्रह्मा की स्तुति सुनकर योगनिन्द्रा उनके सामने प्रकट हो गईं। ब्रह्माजी ने योगनिन्द्रा से विनती करते हुए कहा कि भगवान विष्णु को शीघ्र जगा दो। और साथ ही उनके अंदर इन असुरों को मार डालने की बुद्धि उत्पन्न कर दो। परमपिता के ऐसा कहने पर योगनिन्द्रा ने भगवान विष्णु को अपने से मुक्त कर दिया। जिससे भगवान विष्णु उन असुरों की गर्जना सुनकर जाग जाएं। भगवान विष्णु ने उन दोनों असुरों मधु और कैटव के साथ पांच हजार वर्षों तक युद्ध किया परन्तु भगवान विष्णु उन बलशाली असुरों को मार नहीं पाए। तब ब्रह्माजी ने एक बार फिर महामाया योगनिन्द्रा की स्तुति की। और उनसे कहा कि इन असुरों को अपने मोह के आधीन कर लो। अन्यथा इनका मारा जाना संभव नहीं है। तब ब्रह्मा जी के कहने पर महामाया योगनिन्द्रा ने उन दोनों असुरों मधु और कैटव को अपने मोह के अधीन कर लिया। महामाया के मोह के अधीन होते ही भगवान विष्णु से बाहु युद्ध कर रहे दोनों असुरों ने युद्ध करना बंद कर दिया। और महामाया के मोह के कारण ही वह दोनों असुर भगवान विष्णु से बोले कि हम दोनों तुम्हारी वीरता से बहुत प्रसन्न हैं इसलिए तुम हमसे कोई वर मांगो।

असुरों के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु समझ गए कि मधु और कैटव जो भी कह रहे हैं महामाया के वश में आकर ही कह रहे हैं। इसलिए भगवान विष्णु ने उन असुरों से कहा कि यदि तुम मुझे वर देना ही चाहते हो तो यह वर दो कि मैं तुम दोनों का वध कर सकूं। उन दोनों असुरों की बुद्धि महामाया के वश में थी। फिर भी उन असुरों ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए चारों तरफ देखा। चारों ओर पानी ही पानी था। इस कारण वह असुर बोले कि हमारा वध ऐसे स्थान पर करों जहां सूखा स्थान हो।

तब भगवान विष्णु ने उन दोनों असुरों के मस्तक को अपनी सुखी हुई जांघ पर रखकर काट दिया। इस प्रकार ब्रह्मा जी की स्तुति से मां दुर्गा की पहली उत्पत्ति महामाया योगनिन्द्रा के रूप में हुई थी।

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