Maha Shivratri 2021: क्यों नहीं सोना चाहिए महाशिवरात्रि की रात, जानें...

Maha Shivratri 2021: क्यों नहीं सोना चाहिए महाशिवरात्रि की रात, जानें...
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  • किस कारण से खास मानी जाती है महाशिवरात्रि की रात (Maha Shivratri Night)
  • महाशिवरात्रि की रात को भगवान शिव (Lord Shiva) की रात्रि के चारों पहर में पूजा की जाती है।
  • महाशिवरात्रि की रात सबसे अंधेरी रात मानी जाती है।

Maha Shivratri 20201 : महाशिवरात्रि का त्योहार (Maha Shivratri Festival) साल 2021 में 11 मार्च 2021, दिन बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। भगवान शिव की पूजा (Lord Shiv ki Puja) का यह दिन शिवभक्तों के लिए बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव की चार पहर तक पूजा की जाती है लेकिन महाशिवरात्रि की यह रात और कई कारणों से भी अत्यंत विशेष मानी जाती है। तो आइए जानते हैं कि महाशिवरात्रि की रात क्यों नहीं सोना चाहिए।

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महाशिवरात्रि की रात सबसे अंधेरी रात मानी जाती है। शास्त्रों में महाशिवरात्रि की रात बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। वैसे तो साल में 12 शिवरात्रियां आती है। जिसमें से फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। महाशिवरात्रि की रात्रि बहुत अद्भुत मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त दिन माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चार पहर तक पूजा की जाती है।

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महाशिवरात्रि की रात के चारों पहर में भगवान शिव की पूजा करने से धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पहले पहर की पूजा से धर्म की प्राप्ति होती है। दूसरे पहर की पूजा से काम, तीसरे पहरे की पूजा से अर्थ और चौथे पहर की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिसमें से प्रत्येक पहर की पूजा का अपना अलग- अलग विधान है।


महाशिवरात्रि के दिन यदि कोई भी शिव भक्त भगवान शिव की चार पहर की पूजा न कर पाए तो इस दिन उसे भगवान शिव का जागरण-कीर्तन तो जरुर ही करना चाहिए और भगवान शिव के मंत्रों का जाप भी करना चाहिए।


ऐसा करने से उस व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप कट जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महाशिवरात्रि की रात को सोना निषेध माना गया है। महाशिवरात्रि की रात को ऊर्जा का प्रवाह नीचे से ऊपर की और होता है।


इस रात्रि में ऊर्जा का प्रवाह धरती से आकाश की और होता है। जिसमें रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने से ऊर्जा का प्रवाह बिल्कुल ठीक तरीके से होता है। वहीं कुछ ग्रंथों में भी महाशिवरात्रि की रात को सोना वर्जित माना गया है। क्योंकि महाशिवरात्रि की रात अंत और आरंभ के बीच की रात होती है। यह वह रात होती है जब मनुष्य को अकेले रहना होता है और अपनी सभी वस्तुओं का त्याग करना पड़ता है और शिव के ध्यान में लीन होना पड़ता है।


वहीं महाशिवरात्रि भगवान शिव की साधना के लिए मानी जाती है क्योंकि प्राचीन ग्रंथों के अनुसार शिव की आरंभ हैं और शिव ही अंत हैं। इसलिए यह रात अपने मन में बैठे शिव को देखने की रात होती है। वहीं महाशिवरात्रि वह रात मानी जाती है जब हमारे आरंभ का कालचक्र शिव द्वारा शुरू किया गया था।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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