Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि पर आज जरुर करें इस एक चीज का पाठ, कष्ट और परेशानियां सदा के लिए हो जाएंगे दूर

Maha Shivratri 2022: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान शिव पंचदेवताओं में प्रमुख देवता हैं। हिन्दू धर्म में प्रत्येक दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित है। वहीं हिन्दू धर्म में हर महीने कोई ना कोई व्रत त्योहार भी होता है और वहीं व्रत और त्योहार भी किसी ना किसी देवता को ही समर्पित होता है। वहीं हिन्दू धर्म के प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है महाशिवरात्रि का त्योहार जोकि आशुतोष भगवान शिव को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसीलिए महाशिवरात्रि के दिन को शिव और शक्ति के मिलन के रुप में मनाया जाता है। वहीं भगवान शिव का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और परेशानियों से शिव रक्षा करते हैं। वहीं महाशिवरात्रि के दिन अगर विधिपूर्वक भगवान शिव के परम पावन शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कष्ट और परेशानियां आने का नाम भी नहीं लेती हैं। वहीं अगर आप भी किसी प्रकार से कष्टों और परेशानियों में घिर गए हैं तो आज आप शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ जरुर करें। तो आइए एक क्लिक में पढ़ें शिव रक्षा स्तोत्र।
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शिव रक्षा स्तोत्र
अस्य श्री शिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः ।
श्री सदाशिवो देवता । अनुष्टुप् छन्दः ।
श्री सदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ॥
चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।
अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम् ॥ 1 ॥
गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।
शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः ॥ 2 ॥
गङ्गाधरः शिरः पातु फालं अर्धेन्दुशेखरः ।
नयने मदनध्वंसी कर्णो सर्पविभूषणः ॥ 3 ॥
घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः ।
जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः ॥ 4 ॥
श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः ।
भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ॥ 5 ॥
हृदयं शङ्करः पातु जठरं गिरिजापतिः ।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः ॥ 6 ॥
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः ।
ऊरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः ॥ 7 ॥
जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः ।
चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः ॥ 8 ॥
एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् ।
स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात् |
ग्रहभूतपिशाचाद्याः त्रैलोक्ये विचरन्ति ये ।
दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात् ॥ 9 ॥
अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः ।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ।
इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽदिशत् ।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत् ॥ 10 ॥
इति श्रीयाज्ञवल्क्यप्रोक्तं शिव रक्षा स्तोत्र पूर्ण ।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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