MahaShivratri 2023: महाशिवरात्रि पर न करें ये 3 गलतियां, नहीं तो होगा भारी नुकसान

MahaShivratri 2023: महाशिवरात्रि पर न करें ये 3 गलतियां, नहीं तो होगा भारी नुकसान
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महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही तरीकों से महत्व है। शिवरात्रि का मतलब होता है हर महीने का 14वां दिन।

MahaShivratri: हर साल फाल्गुन मास (Falgun Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व (Festival Of Mahashivratri) मनाया जाता है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने आती है। लेकिन फाल्गुन मास और सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान भोले शंकर और देवी पार्वती की शादी (Marriage of Lord Bhole Shankar and Goddess Parvati) हुई थी। इस दिन भगवान शिव ने वैरागी जीवन का त्याग कर राजा हिमाचल की पुत्री माता पार्वती और रानी मैना देवी को अपना जीवनसाथी बनाया था। इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि की रात पर किन कामों को नहीं करना चाहिए।

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही तरीकों से महत्व है। शिवरात्रि का मतलब होता है हर महीने का 14वां दिन। जो कि अमावस्या से एक दिन पहले आता है। एक साल में 12 से 13 शिवरात्रि आती हैं। इसमें से वो शिवरात्रि जो माघ मास में आती है। उसे महाशिवरात्रि कहते हैं। ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में उस दिन ऊर्जा स्वभाविक रूप से ऊपर की ओर बढ़ती है। जैसे की महाशिवरात्रि की रात में ऊर्जा स्वभाविक रूप से ऊपर की ओर बढ़ती है। इंसान ध्यान कर रातभर रीड़ को सीधी रखे तो इससे जबर्दस्त लाभ होता है।

ये वह दिन है जब शिव अपनी सभी हलचलों से परे चले गए और पूरी तरह से स्थिर हो गए। इसी दिन उनकी तीसरी आंख खुल गई। उनका बोध खिल उठा। दो आंखे सिर्फ इंद्रियां हैं। ये आंखें आपको सिर्फ भौतिक चीजें ही दिखा सकती हैं। यदि आप इन भौतिक पक्षों का आधार देखना चाहते हैं, अगर आप उन सूक्षम आयामों को देखना चाहते हैं, जो प्रकृति की भौतिकता से परे है। अगर आप उसे जानना चाहते हैं तो आपको बोध के एक अलग आया की जरूरत है। बोध का वह आयाम जो भौतिक से परे है। उसे तीसरी आंख कहते हैं। ये वह दिन जब आपके तीसरे नेत्र को खोलने या आपकी इस यात्रा को सहज बनाता है।

महाशिवरात्रि पर ये गलती न करें (Don't Do This Mistake on MahaShivratri)

1. शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद कई लोग ग्रहण करते हैं, लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से आप दुर्भाग्य के मुंह में चले जाते हैं।

2. शास्त्रों में कहा गया है कि कभी भी शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। शिव को अर्पित पंचामृत में तुलसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

3. शिवलिंग पर कभी भी हल्दी से अभिषेक नहीं करना चाहिए। साथ ही शिवलिंग पर चंपा और गुड़ के फूल न चढ़ाएं।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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