Makar Sankranti 2022 : मकर संक्रांति का ये है महत्व और जानें इस दिन पुण्यकाल का मुहूर्त

Makar Sankranti 2022  : मकर संक्रांति का ये है महत्व और जानें इस दिन पुण्यकाल का मुहूर्त
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Makar Sankranti 2022 : प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti Festival) लोहड़ी पर्व के अगले दिन मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और इसके बाद धीर- धीरे सर्दी कम हो जाती है और दिन गर्म होने लग जाते हैं।

Makar Sankranti 2022 : प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti Festival) लोहड़ी पर्व के अगले दिन मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और इसके बाद धीर- धीरे सर्दी कम हो जाती है और दिन गर्म होने लग जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा करने से मनुष्य का सभी प्रकार के सुख प्राप्त हो जाते हैं। वहीं मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन किसी निर्धन अथवा जरुरमंद व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को तिल, गुड़ और खिचड़ी का दान दान करना बहुत शुभ माना जाता है। वहीं अगर ये दान मकर संक्रांति के दिन किसी शुभ मुहूर्त में किया जाए तो और भी अधिक शुभ हो जाता है, तथा अधिक पुण्य लाभ दिलाता है। लेकिन मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान और पुण्य कर्म करने के लिए इस दिन का कैलेंडर जानना आपके लिए अत्यंत ही अनिवार्य है। जिससे आप स्नान और दान शुभ मुहूर्त में कर सकें। तो आइए जानते हैं साल 2022 में आने वाली मकर संक्रांति पंचांग के बारे में।

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मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त 2022 (Makar Sankranti Shubh Muhurat 2022 )

तिथि

त्रयोदशी

दिन

शुक्रवार

माह

पौष

मकर संक्रांति क्षण और पुण्य काल का समय

दोपहर 02:43 बजे (02:43pm-05:45pm)

नक्षत्र

रोहिणी, मृगशिरा

योग

शुक्ल, ब्रह्म

करण

बव, बालव, कौलव

चंद्रमा राशि

वृषभ राशि

सूर्य राशि

मकर राशि

अभिजित मुहूर्त

12:14 PM – 12:57 PM

अमृत काल मुहूर्त

04:40 PM – 06:29 PM

राहुकाल

11:15 AM से 12:35 PM

सूर्योदय

07:15 am

सूर्यास्त

05:45 pm


मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में गोचर करने पर मनायी जाती है। मकर संक्रांति के इस पर्व को जप, तप, स्नान, दान और तर्पण के लिए विशेष माना जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए जाते हैं। इस दिन गुड़, तिल और खिचड़ी का दान विशेष रूप से किया जाता है। इतना ही नहीं इस समय में सूर्यदेव उत्तरायण हो जाते है। जिसके बाद सर्दी कम होने लगती है। इसके अलावा माना जाता है कि इस दिन दिए गए दान का क्षय कभी भी समाप्त नहीं होता है।

मकर संक्रांति को अलग- अलग नामों से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे पोंगल तो वहीं महाराष्ट्र में इसे उत्तरायण और बिहार में इस पर्व को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं कही जगह पर इसे खिचड़ी के नाम से भी पुकारा जाता है। कई जगहों पर इस दिन पतंगें भी उड़ाई जाती है। इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाईयों को खाने का भी रिवाज है। वहीं खिचड़ी बनाना, खाना और दान करना सबसे ज्यादा शुभ माना जात है।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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