Pradosh Vrat 2021 : वैशाख सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को अर्पित करें कांटे और पाएं सुख-समृद्धि का वरदान

- वैशाख शुक्ल प्रदोष व्रत 24 मई 2021, दिन सोमवार को है।
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन करने से कष्टों और संकटों का निवारण होता है।
- जानें, किस प्रकार प्रदोष व्रत के दिन शिव आराधना करनी चाहिए।
Pradosh Vrat 2021 : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख शुक्ल प्रदोष व्रत 24 मई 2021, दिन सोमवार को है। इस दिन भगवान आशुतोष की आराधना और पूजन करने से व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। कष्टों और संकटों का निवारण होता है, वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। वहीं अगर आप भी परेशानियों और दुख-तकलीफ से परेशान है और आपको जीवन में चैन की सांस नहीं आ रही है तो इस व्रत को करने से आपको सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। तो आइए जानते हैं अपने जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए किस प्रकार प्रदोष व्रत के दिन शिव आराधना करनी चाहिए।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव सभी सुखों के दाता हैं और अपने भक्तों के कष्टों को शीघ्र ही हरने वाले देव हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति तत्काल की संकटों से मुक्त हो जाता है।
प्रदोष व्रत पूजन सामग्री
प्रदोष व्रत पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, बेलपत्र (कांटे), कमल,गट्ठा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा आदि भगवान शिव को अर्पित की जाती है।
प्रदोष व्रत पूजन-विधि
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानि सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। इस दौरान स्नान के बाद पूजा के लिए बैठें। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा एक साथ की जाती है।
भगवान शिव को जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, भांग, आक-धतूरा, बेल-पत्र (कांटे), कमल,गट्ठा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा आदि भगवान शिव को अर्पित करें।
माता पार्वती को चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें। महिलाएं मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं। मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना शुभ माना जाता है।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को बेल-पत्र (कांटे) अर्पित करने से भगवान भोलेनाथ शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। भोलेनाथ सभी प्रकार के सुख और ऐश्वर्य सहज ही अपनों भक्तों को प्रदान करते हैं।
शिव पुराण में कहा गया है कि बेलपत्र भगवान शिव का प्रतीक है भगवान स्वयं इसकी महिमा स्वीकारते हैं। कहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियां समाहित हैं। यदि नए बेलपत्र न मिलें तो चढ़ाएं हुए बेलपत्र को भी धोकर बार- बार चढ़ाया जा सकता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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