Mangala Gauri Vrat 2021 : साल 2021 में मंगला गौरी व्रत कैसे करें, जानें कथा, महत्व और पूजा विधि

Mangala Gauri Vrat 2021 : साल 2021 में मंगला गौरी व्रत कैसे करें, जानें कथा, महत्व और पूजा विधि
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  • श्रावण मास में श्रावण सोमवार के दूसरे दिन यानी मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat ) किया जाता है।
  • मंगला गौरी व्रत में मां पार्वती की पूजा-आराधना की जाती है।

Mangala Gauri Vrat 2021 : श्रावण मास में श्रावण सोमवार के दूसरे दिन यानी मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat ) किया जाता है। श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को मानने वाले दिन दिन मंगला गौरी व्रत अर्थात मां पार्वती जी के नाम से इस व्रत को करते हैं। मंगला गौरी व्रत को करने से सुहागन महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य की एवं कुंवारी कन्याओं को मन चाहा वरदान की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन मंगला गौरी का पूजन करके, मंगला गौरी की कथा सुनना बहुत ही फलदायी होता है। श्रावण महीना में मंगलवार को आने वाले सभी व्रत-उपवास मनुष्य के सुख और सौभाग्य में वृद्धि करते हैं। अपने पति और संतान की लंबी उम्र के लिए और सुखी जीवन के लिए महिलाएं खासतौर पर इस व्रत को करती हैं। सौभाग्य से जुड़े होने की वजह से नवविवाहित दुल्हनें भी आदर पूर्वक इन्हें आत्मीयता से, श्रद्धा से, भक्तिपूर्वक माता पार्वती की आराधना करती हैं। जिन भी महिलाओं की कुण्डली में वैवाहिक जीवन की कमी महसूस होती है अथवा शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित होते हैं उन महिलाओं को मंगला गौरी व्रत विशेष रुप से करना चाहिए। महिलाओं को 16 सोमवार के साथ-साथ मंगला गौरी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं साल 2021 के श्रावण मास में हम मंगला गौरी व्रत कैसे करें।

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मंगला गौरी व्रत पूजा विधि

सावन माह में मंगलवार को व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाए सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नवीन वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे माता मंगला गौरी की आराधना की जाती है। एक लकड़ी के तख्त पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता मंगला गौरी यानी मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। दीप जलाकर माता गौरी का षोडशोपचार पूजन करें। फिर उनको सोलह श्रृंगार के सामान और साड़ी चढ़ाएं। पूजन के बाद माता की आरती करें। इसके बाद दिनभर फलाहार करते हुए संध्या पूजन के बाद अन्न पारण कर व्रत पूर्ण करें।

मंगला गौरी व्रत की महिमा

जैसा कि आपको पता है यह व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ऐसे में माता गौरी का पूजन करते समय सुहाग की सामग्री माता को अर्पित करना शुभ माना जाता है। संतान के कल्याण के लिए भी यह व्रत किया जाता है। वैवाहिक जीवन की समस्याओं से बचने के लिए सोमवार के साथ मंगला गौरी व्रत करने का भी विधान बताया गया है। मंगला गौरी की पूजा में माता गौरी को साड़ी के साथ-साथ सोलह श्रृंगार की वस्तुएं, सोलह चूडियां और सूखे मेवे सोलह ही जगह बनाकर अर्पित करना चाहिए।

व्रत कथा

किसी शहर में एक व्यापारी अपनी स्त्री के साथ सही प्रकार से अपना जीवन यापन कर रहा था, उसके धन वैभव में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। अपार धन होते हुए भी वह व्यापारी संतान हीन था। संतान की कमी उसे बहुत परेशान करती थी। काफी यतन और पूजा-पाठ के बाद उस व्यापारी के घर एक बेटा पैदा हुआ। लेकिन उस समय के ज्योतिषियों ने व्यापारी से कहा कि उनका बेटा अल्पायु है और 17 साल का होते ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। इस बात को जानने के बाद दंपत्ति और भी परेशान हो गए। लेकिन उन्होंने इसे ही अपना और अपने बेटे का भाग्य मान लिया। कुछ समय बाद उन्होंने अपने बेटे की शादी एक सुंदर और संस्कारी युवती से कर दी। वह कन्या सदैव माता मंगला गौरी का व्रत करती और मां पार्वती की विधि पूर्वक पूजन करती थी। इस व्रत के प्रभाव से उस युवती को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद प्राप्त था। इस व्रत के परिणाम स्वरूप व्यापारी के बेटे की मृत्यु टल गई और उसे दीर्घायु प्राप्त हुई।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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