Mangala Gauri Vrat 2022 : पति के साथ ही संतान के लिए भी शुभ होता है मंगला गौरी व्रत, जानें इसकी व्रत कथा और पूजा विधि

Mangala Gauri Vrat 2022 : पति के साथ ही संतान के लिए भी शुभ होता है मंगला गौरी व्रत, जानें इसकी व्रत कथा और पूजा विधि
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Mangala Gauri Vrat 2022 : मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस व्रत में माता गौरी को पूजा में सुहाग की सामग्री अर्पित करना शुभ माना जाता है। वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संतान के कल्याण के लिए भी यह व्रत उत्तम माना जाता है। वैवाहिक जीवन की समस्याओं से बचने के लिए सोमवार व्रत के साथ में मंगला गौरी व्रत करने का भी विधान है।

Mangala Gauri Vrat 2022 : मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस व्रत में माता गौरी को पूजा में सुहाग की सामग्री अर्पित करना शुभ माना जाता है। वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संतान के कल्याण के लिए भी यह व्रत उत्तम माना जाता है। वैवाहिक जीवन की समस्याओं से बचने के लिए सोमवार व्रत के साथ में मंगला गौरी व्रत करने का भी विधान है। मंगला गौरी की पूजा में माता गौरी को साड़ी के साथ-साथ सोलह श्रृंगार की वस्तुएं, सोलह चूडियां और सूखे मेवे सोलह ही जगह बनाकर अर्पित करना चाहिए। तो आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत की कथा और पूजा विधि के बारे में...

मंगला गौरी व्रत कथा

किसी शहर में एक व्यापारी अपनी स्त्री के साथ सही प्रकार से अपना जीवन यापन कर रहा था, उसके धन वैभव में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। अपार धन होते हुए भी वह व्यापारी संतान हीन था। संतान की कमी उसे बहुत परेशान करती थी।

काफी यतन और पूजा-पाठ के बाद उस व्यापारी के घर एक बेटा पैदा हुआ। लेकिन उस समय के ज्योतिषियों ने व्यापारी से कहा कि उनका बेटा अल्पायु है और 17 साल का होते ही उसकी मृत्यु हो जाएगी।

इस बात को जानने के बाद दंपत्ति और भी परेशान हो गए। लेकिन उन्होंने इसे ही अपना और अपने बेटे का भाग्य मान लिया। कुछ समय बाद उन्होंने अपने बेटे की शादी एक सुंदर और संस्कारी युवती से कर दी।

वह कन्या सदैव माता मंगला गौरी का व्रत करती और मां पार्वती की विधि पूर्वक पूजन करती थी। इस व्रत के प्रभाव से उस युवती को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद प्राप्त था। इस व्रत के परिणाम स्वरूप व्यापारी के बेटे की मृत्यु टल गई और उसे दीर्घायु प्राप्त हुई।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि

सावन माह में मंगलवार को व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाए सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नवीन वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे माता मंगला गौरी की आराधना की जाती है।

लकड़ी के तख्त पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता मंगला गौरी यानी मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। दीप जलाकर माता गौरी का षोडशोपचार पूजन करें। फिर उनको सोलह श्रृंगार के सामान और साड़ी चढ़ाएं। पूजन के बाद माता की आरती करें। इसके बाद दिनभर फलाहार करते हुए संध्या पूजन के बाद अन्न पारण कर व्रत पूर्ण करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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