Masik Shivratri 2021: मासिक शिवरात्रि कल, इस विधि से रखें व्रत, जानें महत्व

- हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का विशेष महत्व होता है।
- प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि (Chaturdashi tithi) को शिवरात्रि मनायी जाती है।
- इस व्रत को करने से हर मुश्किल काम आसान हो जाता है।
Masik Shivratri 2021: हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का विशेष महत्व होता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी (Chaturdashi) तिथि को शिवरात्रि (Shivratri) मनायी जाती है। मासिक शिवरात्रि वर्ष के प्रत्येक महीने में तथा महाशिवरात्रि वर्ष में एक बार मनायी जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से हर मुश्किल काम आसान हो जाता है और शिव कृपा सदैव बनी रहती है। भगवान भोलेनाथ को समर्पित इस व्रत को करने से हर परेशानी दूर होती है। तथा भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। मासिक त्योहारों में शिवरात्रि का व्रत बहुत महत्व रखता है। शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का व्रत है। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने में कृष्ण पक्ष के 14वें दिन मासिक शिवरात्रि मनायी जाती है और साल 2021 में यह व्रत 09 मई दिन रविवार को है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। मासिक शिवरात्रि का अपना एक अलग ही महत्व है। जहां शिवभक्त साल में एक बार महाशिवरात्रि का व्रत मनाते हैं वहीं भगवान भोलेनाथ की आराधना में महीने में एक मासिक शिवरात्रि मनाने की भी परंपरा है। तो आइए जानते हैं मासिक शिवरात्रि का क्या महत्व है।
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मासिक शिवरात्रि का महत्व (Masik Shivratri Importance)
मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। इस व्रत को रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस दिन व्रत करने से जीवन की समस्त समस्याएं दूर होती हैं। कुंवारी कन्याओं को इस व्रत को रखने से मनोवांछित वर प्राप्त होता है। वहीं सुहागन महिलाओं द्वारा इस व्रत को करने पर उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। वैवाहिक जीवन में अगर कोई परेशानी चल रही है तो वो सारी परेशानी दूर हो जाती हैं। शिवपुराण के अनुसार, जो भी लोग इस व्रत को सच्चे मन से करते हैं उनकी सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
मासिक शिवरात्रि पूजनविधि (Masik Shivratri Pujan Vidhi)
- मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन हल्के पीले अथवा हल्के रंग के वस्त्र धारण करना ज्यादा शुभ माना जाता है।
- इसके बाद आप पूजनस्थल को साफ करें और फिर आप एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। तथा भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- फल, फूल, नैवेद्य, बिल्वपत्र, पंचामृत आदि अर्पित करें। भगवान शिव को जनेऊ अर्पित करें। माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाएं। धूप दिखाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। शिव चालीसा पढ़ें।
- शाम को फिर से स्नान करके भगवान का पूजन करें।
- दिनभर निराहार व्रत करें और शाम को आप चाहें तो पूजन के बाद फलाहार ले सकते हैं।
- अगले दिन पूजन के बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें और भोजन कराएं। तत्पश्चात स्वयं भोजन करके व्रत खोलें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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