अमरनाथ गुफा के ये हैरान कर देने वाले रहस्य एक क्लिक में जानें

- अमरनाथ गुफा के रहस्यों और चमत्कारों का पता अभी तक कोई व्यक्ति नहीं लगा पाया है।
- अमरनाथ गुफा हर मायने में अद्भूत और अकल्पनीय है।
अमरनाथ यात्रा से तो सभी लोग परिचित हैं। परन्तु आजतक कोई भी व्यक्ति अमरनाथ गुफा के रहस्यों और चमत्कारों का पता नहीं लगा पाया है। जबकि अमरनाथ गुफा हर मायने में अद्भूत और अकल्पनीय है। तो आइए जानते हैं अमरनाथ गुफा के रहस्यों के बारे में...
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अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में लगभग 66 किलोमीटर दूर और समुद्रतल से 13600 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर तथा ऊंचाई 11 मीटर है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है। क्योंकि यही पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ की एक अद्भूत तरीके से शिवलिंग का निर्मित्त होना है।
आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। इस गुफा में ऊपर से पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है जिसमें टपकने वाली बूंदों से लगभग 10 फिट लंबा शिवलिंग बनता है। तथा अद्भूत चमत्कार तो यह है कि चंद्रमा के घटने और बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ के शिवलिंग का आकार भी घटता और बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह शिवलिंग अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।
आश्चर्य यह है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है। जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फें ही होती हैं। जो हाथ में लेते ही भुर-भुरा जाएं। इस गुफा में पानी की बूंदें तो कई जगह टपकती हैं परन्तु केवल एक ही जगह 10 फिट के शिवलिंग का बनना एक चमत्कार ही माना जाता है।
जनश्रुति प्रचलित है कि इस गुफा में माता पार्वती को भगवान शिव ने अमरकथा सुनाई थी। गुफा में आज भी एक कबूतर का जोड़ा दिखाई देता है। जिन्हें अमर पक्षी के नाम से जाना जाता है। वे पक्षी भगवान शिव द्वारा सुनाई गई अमरकथा से अमर हुए हैं।
ऐसी मान्यता है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों का जोड़ा दिखाई देता है। उन्हें शिव-पार्वती के प्रत्यक्ष दर्शनों की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने मां पार्वती को एक ऐसी कथा सुनाई थी जिसमें अमरनाथ की यात्रा और उसके मार्ग में आने वाले अनेक स्थलों का वर्णन था। यह कथा कालांतर में अमरकथा के नाम से विख्यात हुई।
कहा जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव के दर्शन से मन पवित्र और पुण्य शुद्धि को प्राप्त होता है। इस अद्भूत गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। जम्मू या श्रीनगर से बालटाल किसी छोटे वाहन से पहुंचना पड़ता है। उसके बाद आगे पैदल ही जाना पड़ता है। कमजोर और वृद्धों के लिए खच्चर और घोड़े की व्यवस्था हो सकती है। पहलगाम से जाना वाला रास्ता सरल और सुविधाजनक है। बालटाल से पवित्र गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर ही है, लेकिन यह सीधी चढ़ाई वाला और बहुत ही दुर्गम रास्ता है।
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