Nag Panchami 2020 Mein Kab Hai : नागपंचमी 2020 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, कथा , मंत्र और कैसे मनाते हैं नागपंचमी

Nag Panchami 2020 Mein Kab Hai : नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार सांप को धन का रक्षक भी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) का भी रुद्राभिषेक किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सांपो द्वारा होने वाला भय समाप्त हो जाता है। इसके अलावा नागपंचमी (Naag Panchami) में नाग देवता की पूजा से संतान सुख, धन और वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है तो आइए जानते हैं नागपंचमी 2020 में कब है, नागपंचमी शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, कथा , मंत्र और कैसे मनाते हैं नागपंचमी।
नागपचंमी 2020 तिथि (Naag Panchami 2020 Tithi)
25 जुलाई 2020
नागपचंमी 2020 शुभ मुहूर्त (Naag Panchami 2020 Subh Muhurat)
पूजा महूर्त- सुबह 5 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक (25 जुलाई 2020)
नागपंचमी का महत्व (Naag Panchami Ka Mahatva)
नाग पंचमी वह त्यौहार होता है। जब साँपों को सर्वोच्च देवताओं के रूप में पूजा जाता है। नाग पंचमी का आरंभ नाग चतुर्थी से होता है और उसके बाद नाग पंचमी और नाग षष्ठी आती है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के सुख के लिए यह त्योहार मनाती हैं। ऐसा माना जाता है कि नागुला चविथी बच्चों को सुरक्षा प्रदान करती है।नाग पंचमी का त्योहार शुक्ल पक्ष में सावन महीने के दौरान होता है।जैसा कि नाग पंचमी का त्योहार सांपों को समर्पित है ऐसा माना जाता है कि पाताल लोक सांपों का निवास स्थान है। नाग पंचमी को कई जगहों पर भतरु पंचमी, बिश्री पूजा, नागा वर्धिनी पंचमी आदि नामों से भी जाना जाता है।
नागपंचमी पूजा विधि (Naag Panchami Ki Puja Vidhi)
1.नागपंचमी के दिन घर की अच्छी तरह से सफाई करके नहाकर साफ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर दोनों और सांप की आकृति बनाएं।
3. इसके बाद पूजा स्थल या फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर नाग देवता की प्रतिमा स्थापित करके उनका दूध से अभिषक करें।
4. इसके बाद नाग देवता को पुष्प , नैवेद्य, चंदने, तांबूल आदि अन्य चीजें अर्पित करके उनकी विधिवत पूजा करें और नागपंचमी की कथा सुने
5.अंत में धूप व दीप से नागदेवता की आरती उतारें और किसी सांप को इस दिन दूध अवश्य पिलाएं।
नागपंचमी की कथा (Naag Panchami Ki Katha)
महाभारत की पौराणिक कथा के अनुसार राजा जनमेजय जो राजा परिक्षित का पुत्र था। उसने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए एक अनुष्ठान किया जिसका नाम सरस्वती था। सा इसलिए था क्योंकि राजा परीक्षित की मृत्यु सांप के राजा तक्षक के काटने से हो गई थी। इस प्रकार मंत्र शक्ति से विद्वानों ने एक कुंड बनाया। सने प्रत्येक सांप को आग में आकर्षित किया। लेकिन तक्षक सांप इस और अकर्षित नहीं हुआ। और इंद्र के पास चला गया। जिसके बाद मंत्र पाठ की गति को बढ़ाया गया। यह जाप इतना शक्तिशाली था कि इंद्र भी इससे बच नहीं सके और तक्षका के साथ अग्नि कुंड तक गए।
इस पर, देवता चिंतित हो गए और उन्होंने सर्पों की देवी मनसा देवी से हस्तक्षेप करने और मदद करने की विनती की। देवताओं के बार-बार अनुरोध के बाद, मनसा देवी ने अपने पुत्र अष्टिका को घटना स्थल पर भेजा और उन्होंने जनमेजय को उनके ज्ञान से प्रभावित किया और जनमेजय को विश्वास हो गया और उसने इंद्र, तक्षक और अन्य सर्प संप्रदायों के लोगों के जीवन को रोकने के लिए सरपा सात्र को रोक दिया। इस प्रकार जनमेजय को अपनी भूल का अहसास हो गया।हिंदू शास्त्रों के अनुसार यह दिन नाग पंचमी का ही दिन था।
नागपंचमी के मंत्र (Naag Panchami Ka Mantra)
1.ॐ भुजंगेशाय विद्महे,
सर्पराजाय धीमहि,
तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।
2.सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।
3.ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।'
4.अनंत वासुकी शेषं पद्मनाभं च मंगलम्शं
खपालं ध्रतराष्ट्रकंच तक्षकं कालियं तथा।
5.ॐ हँ जू स: श्री नागदेवतायेनमोनम:||
6.ॐ श्री भीलट देवाय नम:
नाग देवता की आरती (Naag Devta Ki Aarti)
आरती कीजे श्री नाग देवता की ,भूमि का भार वहनकर्ता की
उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त,सभी करते है सेवा
मनोकामना पूरण करते ,तन-मन से जो सेवा करते
आरती कीजे श्री नाग देवता की ,भूमि का भार वहनकर्ता की
भक्तो के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की
आरती कीजे श्री नाग देवता की ,भूमि का भार वहनकर्ता की
महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा
श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा
दास ऊकार पर रहती क्रपा सहसत्रफनधारी की|
आरती कीजे श्री नाग देवता की ,भूमि का भार वहनकर्ता की
आरती कीजे श्री नाग देवता की ,भूमि का भार वहनकर्ता की
नगपंचमी कैसे मनाई जाती है (Naag Panchami Kaise Manayi Jati Hai)
नागपंचमी के दिन घर की सफाई की जाती है। गावों के अंदर नागपंचमी के दिन गाय के गोबर से पूरे घर को लिपा जाता है। इस दिन सांप देवता को दूध से नहलाया जाता है और उन पर पुष्प और अक्षत चढ़ाए जाते हैं। इस दिन घर के बाहर सांप की आकृति बनाई जाती है और उन्हे सेवईं का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि नागपचंमी के दिन सापों की पूजा करने से सापों के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है। इतनी ही नहीं इस दिन सापों की पूजा करने से कुंडली में कालसर्प जैसे दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
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