Nag Panchami 2021 : नागपंचमी के दिन क्यों पिलाया जाता है सांपों को दूध, जानें ...

Nag Panchami 2021 : नागपंचमी का पर्व (Nag Panchami Festival) सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नागदेवता की पूजा करने और उनको दूध पिलाने की भी पंरपरा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि, आखिर क्यों नागदेवता (Nag Devta) को दूध पिलाया जाता है और इसके क्या लाभ होते हैं। यदि आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं तो आइए जानते हैं नागंपचमी पर सांपो को दूध पिलाने की परंपरा के बारे में...
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नागपंचमी का त्योहार प्रतिवर्ष सावन मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। अमृत सहित नवरत्नों की प्राप्ति के लिए राक्षस और देवताओं ने जब समुद्र मंथन किया था तब जगत के कल्याण के लिए वासुकी नागदेव ने रस्सी का काम करके समुद्र मंथन के कार्य को पूर्ण करने में सहयोग किया था। हिन्दू धर्म में नागदेवता का अपना ही विशेष स्थान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नागपंचमी के दिन ही नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी।
हिन्दू धर्म के अनुसार, नागपंचमी के नागों की विधि विधान से पूजा करने और उन्हें दूध पिलाने वाले व्यक्ति के घर में मां लक्ष्मी अपना वास बना लेती हैं। दूध पिलाने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा घर से लक्ष्मी कभी भी बाहर नही जाती। नागदेवता की पूजा करने और उन्हें दूध पिलाने से सर्प दंश का भय भी नहीं रहता। सांप को श्रेत्रपाल आदि नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन नागदेवता की पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
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जिन लोगों की कुण्डली में काल सर्प दोष होता है उन्हें तो नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए और सांपों को दूध भी अवश्य पिलाना चाहिए। लेकिन वहीं जंतु विज्ञान के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि, सांपों को दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि उनकी प्रकृति इस प्रकार की बिल्कुल भी नहीं होती की वह दूध को पचा सके। लेकिन हमारे देश में सांपों को दूध पिलाने की परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि भारत में सापों को देवता माना जाता है।
वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार, सांप एक ऐसा प्राणी है जो पानी में सांस नहीं ले सकता। इसी कारण से बारिश के समय में सांप अपने बिलो से बाहर आ जाते हैं और लोग उन्हें मार देते हैं। इसी कारण से ऋषियों ने उन्हें दूध और लावा चढ़ाने की परंपरा शुरू की जिससे उनका जीवन बचाया जा सके और प्रकृतिक संतुलन भी बना रहे। इसी कारण से भी हमारे देश में सांपों को दूध पिलाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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