Nag Panchami 2022: नाग पंचमी पर आज जरुर करें सर्प सूक्त का पाठ, आपको मिलेगा ये वरदान

Nag Panchami 2022: नाग पंचमी पर आज जरुर करें सर्प सूक्त का पाठ, आपको मिलेगा ये वरदान
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Nag Panchami 2022: आज सावन शुक्ल पंचमी के दिन हिन्दू धर्म में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। वहीं नाग पंचमी के दिन मंदिरों में भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। आज के दिन विधि विधान से नागदेवता की पूजा करने पर मनुष्य को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

Nag Panchami 2022: आज सावन शुक्ल पंचमी के दिन हिन्दू धर्म में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। वहीं नाग पंचमी के दिन मंदिरों में भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। आज के दिन विधि विधान से नागदेवता की पूजा करने पर मनुष्य को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन सर्प सूक्त का पाठ करने का विधान है, जो भी व्यक्ति आज के दिन सर्प सूक्त का पाठ करता है, नाग देवता की कृपा से उसकी सभी इच्छा और मनोकामना पूरी होती हैं। तो आइए आज नाग पंचमी के अवसर पर सर्प सूक्त का पाठ करके नागदेवता को प्रसन्न करें और मनचाहा वरदान प्राप्त करें।

सर्प सूक्त पाठ

ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा:, शेषनाग पुरोगमा: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

इन्द्रलोकेषु ये सर्पा:, वासुकि प्रमुखादय: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

कद्रवेयाश्च ये सर्पा:, मातृभक्ति परायणा ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

इंद्रलोकेषु ये सर्पा:, तक्षका प्रमुखादय: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

सत्यलोकेषु ये सर्पा:, वासुकिना च रक्षिता ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

मलये चैव ये सर्पा:, कर्कोटक प्रमुखादय: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

पृथिव्यांचैव ये सर्पा:, ये संकेन च वासिता।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

सर्वग्रामेषु ये सर्पा:, ये वसंतिषु संच्छिता ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

ग्रामे वा यदिवारण्ये, ये सर्पा प्रचरन्ति च ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

समुद्रतीरे ये सर्पा, ये सर्पा जलवासिन: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

रसातलेषु या सर्पा:, अनन्तादि महाबला: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य:, सुप्रीता: मम सर्वदा ॥

नमो अनंतादि नागेभ्यः, कुलीकान्तेभ्य एव च ।

सर्पदोष विमुक्तार्थ, तर्पयामि मुहूर्मुहूः ॥

कालिय नाम सर्पा ये, नवनाग समोबलि ।

कालिन्दी ह्रदय संजातो, यो नारायण वाहन ॥

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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