Narak Chaturdashi 2021 : नरक चतुर्दशी के दिन होती है दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी की विदाई, माता लक्ष्मी का है इनसे खास संबंध

Narak Chaturdashi 2021 : नरक चतुर्दशी के दिन होती है दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी की विदाई, माता लक्ष्मी का है इनसे खास संबंध
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Narak Chaturdashi 2021 : नरक चतुर्दशी 03 नवंबर 2021 (Narak Chaturdashi 03 November 2021) यानि आज (बुधवार) को मनायी जाएगी। नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीप जलाने से व्यक्ति के जीवन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। वहीं शास्त्रों की मानें तो नरक चतुर्दशी के दिन ही माता लक्ष्मी की बहन और दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी की विदाई (Alakshmi Ki Vidai) भी की जाती है।

Narak Chaturdashi 2021 : नरक चतुर्दशी 03 नवंबर 2021 (Narak Chaturdashi 03 November 2021) यानि आज (बुधवार) को मनायी जाएगी। नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीप जलाने से व्यक्ति के जीवन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। वहीं शास्त्रों की मानें तो नरक चतुर्दशी के दिन ही माता लक्ष्मी की बहन और दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी की विदाई (Alakshmi Ki Vidai) भी की जाती है। जिससे आपके घर में मां लक्ष्मी का आगमन हो सके और जीवन भर की दरिद्रता दूर हो जाए। क्योंकि जहां पर अलक्ष्मी का वास होता है वहां मां लक्ष्मी निवास नहीं करती हैं। तो आइए जानते हैं अलक्ष्मी की विदाई के बारे में...

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नरक चतुर्दशी पर अलक्ष्मी देवी की विदाई

अलक्ष्मी देवी को दरिद्रता की देवी भी माना जाता है। इनका दूसरा नाम ज्येष्ठी देवी भी है। उन्हें आज के दिन विशेष रूप से विदा किया जाता है। अलक्ष्मी देवी को धूल, मिट्टी जैसे गंदी जगह पसंद है।

अलक्ष्मी देवी का जिस व्यक्ति के घर में वास हो जाता है। वह अपने पूरे जीवनभर दरिद्र बना रहता है। उसके जीवन में न तो धन होता है और न ही कोई सुख होता है। क्योंकि बिना धन के सुख की प्राप्ति हो ही नहीं सकती। इसलिए अलक्ष्मी को नरक चतुर्दशी के दिन घर से विदा करने की परंपरा है, लेकिन जिस जगह पर अलक्ष्मी देवी होती है। उस जगह पर लक्ष्मी देवी नही आती। इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन घर से धूल मिट्टी को घर से बाहर निकाला जाता है।

जब धूल मिट्टी को घर से बाहर निकाला जाता है तब दीप जलाकर दीप की ज्याति दिखाते हुए मिट्टी को बाहर फेंका जाता है। इसके अलावा इस दिन घर की अच्छी तरह से सफाई की जाती है। जिससे अलक्ष्मी किसी भी रूप से घर में न रहे। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से अलक्ष्मी देवी घर से विदा हो जाती है।

इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन अलक्ष्मी देवी को विदा किया जाता है। नरक चतुर्दशी के अगले दिन यानी दिवाली के दिन माता लक्ष्मी स्वागत के लिए घर को अच्छी तरह से सजाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। दिवाली का पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। जिसकी शुरूआत गोवर्धन पूजा के दिन से ही हो जाती है, लेकिन नरक चतुर्दशी के दिन से ही माता लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी जाती है।

जिसमें सबसे पहला काम सफाई का होता है। क्योंकि मां लक्ष्मी वहीं पर जाती हैं। जहां पर साफ सफाई हो। इसी कारण से नरक चतुर्दशी के दिन धूल, मिट्टी, गंदगी आदि को साफ करके अलक्ष्मी को विदा किया जाता है। जिससे माता लक्ष्मी का आगमन घर पर हो सके।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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