Narak Chaturdashi 2021: नरक चतुर्दशी पर सर्वार्थसिद्धि योग में होगी यम की पूजा, जानें इसकी पौराणिक कथा और महत्व

Narak Chaturdashi 2021: नरक चतुर्दशी पर सर्वार्थसिद्धि योग में होगी यम की पूजा, जानें इसकी पौराणिक कथा और महत्व
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Narak Chaturdashi 2021: छोटी दीपावली जिसे शास्त्रों में नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी या फिर रूप चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन यमराज की पूजा करने और उनके लिए व्रत करने का विधान है।

Narak Chaturdashi 2021: छोटी दीपावली जिसे शास्त्रों में नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी या फिर रूप चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन यमराज की पूजा करने और उनके लिए व्रत करने का विधान है। रूप चतुर्दशी 03 नवंबर बुधवार को सर्वार्थसिद्धि योग मनाया जाएगा। इस दौरान घरों में अभ्यंग स्नान होगा। सभी लोग सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान और पूजन करेंगे। इस दौरान लोग उबटन लगाकर स्नान करेंगे।स्त्रियों के लिए यह पर्व खास होगा। दरअसल स्त्रियां सज संवरकर पूजन -अर्चन करेंगी। इस दौरान ब्यूटी पार्लर्स में रौनक रहेगी। सड़कों, घरों, भवनों में दीपावली की जगमग रहेगी। शाम होते ही वातावरण झिलमिलाने लगेगा। दरअसल रूप चतुर्दशी को लेकर मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने से लोगों को नर्क की यातनाऐं नहीं भोगनी पड़ती है। इस दिन लोग उबटन से स्नान करते हैं। स्नान के बाद दीपदान होता है। प्रतीकात्मक तौर हल्दी मिले आटे के दीये को पांव लगाया जाता है।

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श्रद्धालु महिलाएं घर आंगन को रगोली के रंगों से संवारती हैं। इस दिन दियों की जगमगाहट से लोगों के घर वृंदनवार रोशन होते हैं। रूप चतुदर्शनी के अलगे दिन कार्तिक अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है। ऐसे में यह दीपावली की शुरूआत होती है। रूप चतुर्दशी पर स्नान के दौरान लोग पटाखे चलाकर उत्साह मनाते हैं।

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि माना जाता है कि महाबली हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था। इसीलिए आज बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि धन की देवी मां लक्ष्मी जी उसी घर में रहती हैं जहां सुंदरता और पवित्रता होती है। लोग लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए घरों की सफाई और सजावट करते हैं इसका अर्थ ये भी है कि वो नरक यानी के गंदगी का अंत करते हैं। नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर की सफाई जरूर करनी चाहिए। घर की सफाई के साथ ही अपने रूप और सौन्दर्य प्राप्ति के लिए भी शरीर पर उबटन लगा कर स्नान करना चाहिए। इस दिन रात को तेल अथवा तिल के तेल के 14 दीपक जलाने की परम्परा है।कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा छोटी दीवाली के रूप में मनाई जाती है।

देवी लक्ष्मी धन की प्रतीक हैं। धन का अर्थ केवल पैसा नहीं होता। तन-मन की स्वच्छता और स्वस्थता भी धन का ही कारक हैं। धन और धान्य की देवी लक्ष्मी जी को स्वच्छता अतिप्रिय है। धन के नौ प्रकार बताए गए हैं। प्रकृति, पर्यावरण, गोधन, धातु, तन, मन, आरोग्यता, सुख, शांति समृद्धि भी धन कहे गए हैं।.

लंबी उम्र के लिए नरक चतुर्दशी के दिन घर के बाहर यम का दीपक जलाने की परंपरा है। नरक चतुर्दशी की रात जब घर के सभी सदस्य आ जाते हैं तो गृह स्वामी यम के नाम का दीपक जलाता है।

नरक चतुर्दशी के दिन ऐसे करें हनुमान जी की पूजा

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से जन्म लिया था। इस दिन भक्त दुख और भय से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की पूजा-अर्चनाा करते हैं। इस दिन हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए।

नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी कहने का कारण

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता के अनुसार हिरण्यगभ नाम के एक राजा ने राज-पाट छोड़कर तप में विलीन होने का फैसला किया। कई वर्षों तक तपस्या करने की वजह से उनके शरीर में कीड़े पड़ गए। इस बात से दुखी हिरण्यगभ ने नारद मुनि से अपनी व्यथा कही। नारद मुनि ने राजा से कहा कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगाकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद रूप के देवता श्री कृष्ण की पूजा करें। ऐसा करने से फिर से सौन्दर्य की प्राप्ति होगी। राजा ने सबकुछ वैसा ही किया जैसा कि नारद मुनि ने बताया था। राजा फिर से रूपवान हो गए।तभी से इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं।

पौराणिक कथा

जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बलि से तीन पग धरती मांगकर तीनों लोकों को नाप लिया तो राजा बलि ने उनसे प्रार्थना की- 'हे प्रभु! मैं आपसे एक वरदान मांगना चाहता हूं। यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो वर देकर मुझे कृतार्थ कीजिए। तब भगवान वामन ने पूछा- क्या वरदान मांगना चाहते हो, राजन? दैत्यराज बलि बोले- प्रभु! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली है, इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में चतुर्दशी के दिन यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का पर्व मनाए, उनके घर को लक्ष्मीजी कभी न छोड़ें।राजा बलि की प्रार्थना सुनकर भगवान वामन बोले- राजन! मेरा वरदान है कि जो चतुर्दशी के दिन नरक के स्वामी यमराज को दीपदान करेंगे, उनके पितर कभी नरक में नहीं रहेंगे और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का उत्सव मनाएंगे, उन्हें छोड़कर मेरी प्रिय लक्ष्मी अन्यत्र न जाएंगी। भगवान वामन द्वारा राजा बलि को दिए इस वरदान के बाद से ही नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त व्रत, पूजन और दीपदान का प्रचलन आरंभ हुआ, जो आज तक चला आ रहा है।

श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन किया था नरकासुर का वध

नरक चतुर्दशी का पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं, इन्हीं में से एक कथा नरकासुर वध की भी है। कथा के मुताबिक प्रागज्योतिषपुर नगर का राजा नरकासुर नामक दैत्य था। उसने अपनी शक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया। वह संतों को भी त्रास देने लगा। महिलाओं पर अत्याचार करने लगा। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता व ऋषिमुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नरकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया, लेकिन नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था।इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया तथा उन्हीं की सहायता से नरकासुर का वध किया। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। उसी की खुशी में दूसरे दिन अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीएं जलाए। तभी से नरक चतुर्दशी तथा दीपावली का त्योहार मनाया जाने लगा।

महत्व

कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि रूप चौदस पर व्रत रखने का भी अपना महत्व है। मान्यता है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते हैं। रूप चतुदर्शी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर तिल के तेल की मालिश और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर नहाना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए. ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य हासिल होता है।

साथ ही रूप चौदस की रात मान्यतानुसार घर का सबसे बुजुर्ग पूरे घर में एक दिया जलाकर घुमाता है और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर जाकर रख देता है। इस दिए को यम दीया कहा जाता है। इस दौरान घर के बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिए को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती है।

यम-तर्पण

कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-

इस प्रकार तर्पण कर्म सभी पुरुषों को करना चाहिए, चाहे उनके माता पिता गुजर चुके हों या जीवित हों। फिर देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है। नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे वैकुंठ में स्थान मिलता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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