Navgrah Stotra: अगर आप भी घर में चाहते हैं ग्रहों की शांति, तो करें नवग्रह स्तोत्र का पाठ

Navgrah Stotra: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सौरमंडल में 9 ग्रह स्थित होते हैं, जिसमें सूर्य, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, राहू और केतु आदि नवग्रह हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, नवग्रह मनुष्य की सभी कामनाएं पूरी करने में सक्षम होते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो जातक अपनी सारी मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं, वे शनिवार को नवग्रह के कुछ मंत्र का जप करने से मनोकामना पूर्ण हो सकती है। शास्त्रों के अनुसार, नवग्रह मंत्र को कम से कम 40 दिनों तक 108 बार जाप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। तो आइये इस मंत्र और स्तोत्र का पाठ के बारे में जानते हैं।
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श्री नवग्रह स्तोत्र पाठ
रवि- तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं।।
दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं।
चंद्र- नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं।।
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं।
मंगल- कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं।।
प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं।
बुध- सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं।।
देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं।
गुरु- बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं।।
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं।
शुक्र- सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं।।
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।
शनि- छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं।।
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं।
राहू- सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं।।
पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं।
केतु- रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं।।
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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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