Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी व्रत के पारण में ना करें ये भूल, वरना लगता है बहुत बड़ा पाप

Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी व्रत का पारण 11 जून दिन शनिवार को होगा। वहीं व्रत पारण का समय सुबह 05:49 बजे से 08:29 बजे तक रहेगा। इस समय को एकादशी व्रत पारण के लिहाज से विशेष पुण्यदायी बताया गया है। शास्त्रों में किसी भी व्रत के समापन को ही व्रत का पारण कहा जाता है। निर्जला एकादशी समेत सभी एकादशी व्रत का पारण व्रत के अगले दिन किया जाता है। वहीं एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले कर लेना बहुत ही उत्तम माना जाता है। तो आइए जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत के पारण में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी के दिन अर्थात व्रत पारण के समय भूल से भी मसूर दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि मसूर की दाल को अशुद्ध माना जाता है। इसलिए व्रत के पारण में व्रती को मसूर दाल का सेवन निषेद्य माना जाता है।
वहीं निर्जला एकादशी के दिन सेम का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस दिन सेम का सेवन करने से संतान को हानि होती है। इसलिए व्रती के परिवार के सभी लोगों को निर्जला एकादशी के दिन और व्रत पारण के दिन सेम की सब्जी का सेवन नहीं करना चाहिए।
निर्जला एकादशी के दिन लहसून-प्याज का सेवन करना भी वर्जित माना जाता है। क्योंकि इन दोनों की उत्पत्ति राहु के रक्त से हुई है। इसलिए इसकी गंध उत्तेजना, क्रोध, हिंसा और अशांति पैदा करती है। इसलिए व्रत के दिन और व्रत पारण के दिन इसका सेवन भी शास्त्र सम्मत नहीं माना जाता है।
निर्जला एकादशी के दिन और व्रत पारण के दिन व्रती या उसके घर के सदस्यों को मीठा पान नहीं खाना चाहिए। क्योंकि भगवान विष्णु की पूजा में मीठा पान चढ़ाया जाता है। इसलिए इस दिन मीठा पान खाना वर्जित माना जाता है।
निर्जला एकादशी के व्रत पारण के दिन व्रती के घर के सदस्य व्रत का जो अन्न ग्रहण करते हैं, वह सात्विक और शुद्ध आहार होना चाहिए। व्रती के परिवार को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। अन्यथा निर्जला एकादशी के व्रत पारण के पुण्य का नाश हो जाता है।
निर्जला एकादशी के दिन साग और मूली का सेवन गलती से भी वर्जित माना जाता है। क्योंकि ये दोनों ही भूमि के नीचे पाये जाते हैं। इसलिए इन्हें अशुद्ध माना जाता है। यहीं कारण हैं कि व्रत और उसके साथ-साथ उसके परिवार के लोगों को भी इसका सेवन करना वर्जित माना गया है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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