अष्टमी के दिन कन्याओं को कराया ऐसा भोजन तो मां भवानी हो जाएगी नाराज

Sharadiya Navratri 2020: अब शारदीय नवरात्रि का पर्व आने वाला है, और इस दौरान मां जगदंबा के सभी भक्त मां का ध्यान करते हुए उनकी आराधना करते हैं। साथ ही मां जगदंबा का हमें पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त हो इसी आशा को रखते हुए नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन देवी स्वरुप छोटी कन्याओं को भोजन कराने का भी विधान हमारे शास्त्रों में बताया गया है। जिसे सनातन धर्म को मानने वाले सभी लोग अधिकतर करते भी हैं। किन्तु शास्त्रों में कन्या पूजन और कन्या भोजन से संबंधित कुछ नियम भी बताए गए हैं। और उन नियमों का ज्ञान ना होने की वजह से कई बार हम मां जगदंबा को प्रसन्न करने की जगह नाराज कर देते हैं। यदि आप भी अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं का पूजन और उन्हें भोजन कराना चाहते हैं तो आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. जिन कन्याओं को आप भोजन कराते हैं, उनकी आयु एक-दो वर्ष से लेकर सात-आठ वर्ष के मध्य ही होनी चाहिए। क्योंकि कन्या स्वरुप में जो माता का रुप बताया गया है वह इसी आयु की कन्याओं का रुप बताया गया है। साथ ही अगर आठ वर्ष से बड़ी कोई कन्या आपके घर भोजन करने आ जाए तो आप उस कन्या को भोजन तो करा सकते हैं, किन्तु ऐसी कन्या को नौ कन्याओं की गिनती में नहीं रखना चाहिए।
2. शास्त्रों के अनुसार जो कन्याएं आपके घर भोजन करने आईं हैं, उन कन्याओं का आदर भाव आपको इस प्रकार से करना चाहिए जैसे कि आपके घर नौ देवियां चलकर आई हों। कन्याओं के घर में प्रवेश करते ही किसी पात्र में उनके चरण धोकर उस जल से सारे घर को प्रच्छालन करना चाहिए। अर्थात घर के सभी स्थानों पर उस जल से छींटे लगाने चाहिए। ऐसा करने पर घर की सारी नेगेटिविटी दूर हो जाती है। तत्पश्चात उनको आसन पर बैठाकर उनका स्वागत करना चाहिए।
3. शास्त्रों में बताया गया है कि माता के लिए जो आप भोग बनाएं वहीं प्रसाद कन्याओं को भी अर्पण करें। और बनाई गई प्रसादी के अंदर किसी भी प्रकार की खटाई का प्रयोग ना करें। जैसे नीबू, आमचूर, टमाटर इत्यादि। शास्त्रों के अनुसार मां जगदंबा के भोग के अंदर खटाई का प्रयोग वर्जित है। मां जगदंबा के भोग के अंदर आप लहसून-प्याज इत्यादि का प्रयोग भी बिलकुल ना करें। वर्तमान में एक और प्रथा चल पड़ी है जिसमें कई बार लोग कन्याओं को चाउमीन, पिज्जा, बर्गर आदि खिला देते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से मां जगदंबा प्रसन्न नहीं होती बल्कि रूष्ट हो जाती हैं। इसलिए भूल से भी ऐसी गलती ना करें। पूर्ण श्रद्धा-भाव और शुद्धता का ध्यान रखते हुए माता का प्रसाद अपने घर ही बनवाएं। माता के इस प्रसाद में हलवा, पूरी, चना, खीर, मावे के मिठाई इत्यादि बना सकते हैं। और यह प्रसाद बनने के बाद सर्वप्रथम मां जगदंबा भवानी को अर्पित करें। और फिर इसी प्रसाद का देवी स्वरुप छोटी कन्याओं को भोजन कराएं। तथा आप यह भी ध्यान रखें कि छोटी कन्याओं के साथ में एक बालक को भी भोजन कराएं। शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि कन्याओं को भोजन कराने का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है जब कन्याओं के साथ में एक बालक भी भोजन करें।
4. बहुत से लोग कन्याओं को भोजन कराने के बाद केला, अनार, सेब आदि फल भी देते हैं। यह भी शास्त्रो के अनुसार सही नहीं है। क्योंकि नवरात्रि के दौरान व्रत रखने के बाद आप कन्याओं को भोजन कराकर फल प्राप्ति की कामना रखते हैं। फल देने की कामना नहीं करते इसलिए कन्याओं को भोजन कराने के बाद भेंट स्वरुप कोई अन्य उपहार दें। जोकि उनके लंबे समय तक काम आएं। क्योंकि जितने लंबे समय तक कन्याएं आपके उपहार का इस्तेमाल करेंगी, उतने ही लंबे समय तक आपको मां जगदंगा भवानी का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आपके द्वारा शिक्षा संबंधित उपहार कन्याओं को देना भी आपको श्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
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