दीपावली पर मां लक्ष्मी के साथ क्यों की जाती है गणपति की पूजा, भगवान विष्णु की पूजा मां लक्ष्मी के साथ क्यों नहीं की जाती, आइए जानें

दीपावली पर मां लक्ष्मी के साथ क्यों की जाती है गणपति की पूजा, भगवान विष्णु की पूजा मां लक्ष्मी के साथ क्यों नहीं की जाती, आइए जानें
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Deepawali: माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से इतना प्रेम करती हैं कि जब-जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार धारण किया तब-तब माता लक्ष्मी ने भी उनकी पत्नी या प्रेमिका बनकर धरती पर अवतार लिया है। पुराणों में यह वर्णित है कि मां लक्ष्मी तभी प्रसन्न होती हैं जब उनके साथ-साथ भगवान विष्णु जी की भी पूजा की जाए। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु जी की कृपाएं बेहद जरुरी होती हैं। लेकिन प्रतिवर्ष दीपावली पूजन के दौरान मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश को क्यों पूजा जाता है। क्यों मां लक्ष्मी की पूजा उनके पति भगवान विष्णु के साथ नहीं होती है।

Deepawali: माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से इतना प्रेम करती हैं कि जब-जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार धारण किया तब-तब माता लक्ष्मी ने भी उनकी पत्नी या प्रेमिका बनकर धरती पर अवतार लिया है। पुराणों में यह वर्णित है कि मां लक्ष्मी तभी प्रसन्न होती हैं जब उनके साथ-साथ भगवान विष्णु जी की भी पूजा की जाए। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु जी की कृपाएं बेहद जरुरी होती हैं। लेकिन प्रतिवर्ष दीपावली पूजन के दौरान मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश को क्यों पूजा जाता है। क्यों मां लक्ष्मी की पूजा उनके पति भगवान विष्णु के साथ नहीं होती है। प्रतिवर्ष दीपावली पर आप लोग लक्ष्मी-गणेश का विधिवत पूजन करते हैं।

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का उद्देश्य तो सभी जानते हैं। दीपावली की रात हर कोई व्यक्ति मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने की कोशिश करता है। और माता से अपने निवास स्थान पर बस जाने की प्रार्थना करता है। ताकि उनका परिवार फलता-फूलता रहे। वहीं भगवान गणपति को बुद्धि और विवेक का देवता कहा जाता है। गणपति की दो पत्नियां हैं रिद्धि और सिद्धि। और गणपति के दो ही पुत्र हैं शुभ और लाभ। शुभ और लाभ गणपति के साथ-साथ मां लक्ष्मी से भी जुड़े हैं। क्योंकि लाभ के बिना लक्ष्मी का आगमन नहीं होता है। और लाभ शुभ समय में ही होता है। शनि कि शुभ और लाभ के आगमन से ही लक्ष्मी का आगमन होता है। इसके बाद आता है गणपति का काम। शुभ और लाभ के आगमन से जब मां लक्ष्मी जब घर में आती हैं तो उस लक्ष्मी को संभालने के लिए विवेक और बुद्धि की आवश्यकता होती है। कहा जाता है कि लक्ष्मी को एक जगह पर रोकना बिलकुल भी संभव नहीं है। अगर कोई भी व्यक्ति लक्ष्मी को एक जगह रोके रखना चाहता है तो उसे बुद्धि और विवेक की बहुत जरुरत होती है। जोकि उसे भगवान गणेश के आशीर्वाद से ही प्राप्त होती है। इसलिए माता लक्ष्मी को अपने घर पर रोके रखने के लिए गणपति की भी पूजा की जाती है। और उनसे बुद्धि और विवेक का वरदान मांगा जाता है।

इसके अलावा एक और प्रमुख कारण है। जोकि दीपावली के दिन लक्ष्मी के साथ गणपति की पूजा होती है। और यह कारण है गणपति जी का लक्ष्मी जी के पुत्र होने का। गणपति को लक्ष्मी जी का मानस पुत्र माना गया है। मानस संतान वह संतान होती है जोकि इच्छा से प्राप्त होती है। संभोग से नहीं। लेकिन लोग सोचते हैं कि गणपति तो पार्वती के पुत्र हैं। तो वह लक्ष्मी के पुत्र कैसे हो गए।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि कोई भी नारी पूर्ण तब होती है जब वह संतान को उत्पन्न करें। अथवा उसकी कोई संतान हों। लेकिन मां लक्ष्मी की कोई भी संतान नहीं थी। और मां लक्ष्मी मां पार्वती के पास मदद मांगने के लिए गई। मां पार्वती के सौभाग्य से दो पुत्र थे। गणपति और कार्तिकेय। जब मां लक्ष्मी ने मां पार्वती से विनती की तो मां पार्वती ने अपने पुत्र गणपति को लक्ष्मी जी को सौंप दिया। पार्वती माता ने लक्ष्मी माता से कहा कि आज से गणेश मेरा पुत्र नहीं बल्कि हम दोनों का ही पुत्र है। हालांकि पार्वती ये बखूबी जाती थी कि लक्ष्मी कभी किसी एक जगह पर स्थिर नहीं रह सकती हैं। इसलिए वो गणपति का ख्याल नहीं रख पाएंगी। लेकिन लक्ष्मी जी की स्थिति देखकर मां पार्वती ने उनकी मदद की। जिसके बाद लक्ष्मी माता ने पार्वती माता से ये वादा किया कि वो गणपति का हमेशा ख्याल रखेंगी। लक्ष्मी मां ने कहा कि जब-जब मेरी पूजा होगी तब-तब गणपति का पूजन भी साथ ही होगा। और इसी के साथ ही मेरी पूजा संपूर्ण समझी जाएगी। यही वजह है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ उनके पुत्र गणेश की भी पूजा होती है। क्योंकि गणपति लक्ष्मी के मानस पुत्र हैं। उनके बेटे हैं इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी के साथ गणपति की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी के साथ उनके पति भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती।

दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश पूजन के दौरान एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। भगवान गणेश को लक्ष्मी जी के बाई ओर ही रखें। क्योंकि आदि काल से ही पत्नी को पति के बामांगी कहा गया है। अर्थात पत्नी अपने पति के बांये भाग में विराजमान होती है। पति के दाहिने भाग में कभी भी पत्नी को भी नहीं बैठना चाहिए।

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