Onam 2020 Date : ओणम 2020 में कब है, महत्व, कथा और कैसे मनाते हैं ओणम का त्योहार

Onam 2020 Date : ओणम का त्योहार (Onam Festival) केरल में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। तेरह दिनों तक चलने वाले इस पर्व में कई तरह की प्रतियोगिताएं भी रखी जाती है। जिसमें कई लोग भाग लेते हैं। ओणम के पहले दिन घर की अच्छी तरह से साफ सफाई की जाती है और दूसरे दिन ओणम की पूजा (Onam Ki Puja) की जाती है। जिसमें कम से कम 20 पकवान होने आवश्यक है।इसके अलावा क्या है खास इस त्योहार में आइए जानते हैं।
ओणम 2020 तिथि (Onam 2020 Tithi)
22 अगस्त 2020 से 2 सितंबर 2020 तक
ओणम का महत्व (Onam Importance)
ओणम के त्योहार मलयालम कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। यह राज्य में एक कृषि पर्व की तरह मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर में इस त्योहार की शुरुआत पहले महिने चिंगम से होती है। वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से त्योहार अगस्त या सितंबर में मनाया जाता है। इस त्योहार को मलयाली लोग दस दिनों तक मनाते हैं।जिसमें ओणम के पहले दो दिनों को अधिक महत्व दिया जाता है।
ओणम के पहले दिन को उथ्रादम और दूसरे दिन को थिरूओणम कहा जाता है। जिसमें पहले दिन घर की अच्छी तरह से सफाई की जाता है और घर को सजाया जाता है। और दूसरे दिन सुबह पूजा की जाती है। कुछ कथाओं के अनुसार ओणम के दूसरे दिन यानी थिरूओणम के दिन राजा बलि का आगमन होता है। इस साल 22 अगस्त के दिन उथाद्रम और 23 अगस्त को थिरूओणम मनाया जाएगा।
कैसे मनाते हैं ओणम (Onam Celebreation)
दक्षिण भारत में ओणम को विशेष महत्व दिया जाता है। इस त्योहार को केरल में सबसे ज्यादा मनाया जाता है। केरल में इस त्योहार को सभी त्योहारों में सबसे ज्यादा प्रंमुख माना जाता है।यह पर्व कृषि पर्व के रूप में मनाया जाता है।इसलिए इसकी महत्वता और अधिक बढ़ जाता है। केरल में भगवान वामन का सिर्फ एक मात्र मंदिर त्रिक्काकरा नामक जगह पर स्थित है। इसी जगह से इस त्योहार की शुरुआत की जाती है।
ओणम के पहले दिन उथ्रादम मनाया जाता है।जिसमें पूरे घर की अच्छी तरह से साफ सफाई की जाती है और पूरे घर को सजाया जाता है। इसके दूसरे दिन थिरूओणम मनाया जाता है। जिसमें पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दिन घर में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जिसमें कम से कम 20 पकवान तो होते ही हैं। क्योंकि ओणम में 20 पकवान से कम पकवान बनाना अशुभ माना जाता है।
ओणम के दिन जो पकवान की थाली तैयार की जाती है उसे साध्य थाली कहा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के बाहर फूलों की पंखूड़ियों से रंगोली बनाती है। जिसे पूकलम नाम से जाना जाता है और घर की महिलाएं और लड़कियां एकत्रित होकर इस रंगोली के चारों और नृत्य करती है। इस नृत्य को तिरुवाथिरा कलि कहा जाता है। ओणम के पहले दिन बनाई जाने वाली रंगोली जिसे पूकलम भी कहते हैं।वह छोटी होती है।
जिसके बाद जैसे जैसे ओणम का त्योहार आगे बढ़ता है यह रंगोली भी बढ़ी होती जाती है। पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली और उसके अंग रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है। जो कच्ची मिट्टी से बनी होती है। ओणम के इस पर्व पर कई तरह की प्रतियोगिताएं भी रखी जाती है। जिसमें नौका दौड़, पूकलम और पुलि कलि को शामिल किया जाता है।
ओणम की कथा (Onam Story)
ओणम का पर्व राजा बलि के आगमन पर मनाया जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार राजा बलि भक्त प्रह्नाद के पोते, हृणियाकश्यप के पर पोते, कश्यप ऋषि के पर पर पोते थे। राजा बलि ने अपने पराक्रम के बल पर तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था। राजा बलि के बल को देखकर इंद्र घबरा गया और वह सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंच गया। भगवान विष्णु ने देवताओं की मदद के लिए वामन अवतार धारण किया और राजा बलि के पास भिक्षा मांगने के लिए पहुंच गए। राजा बलि से वामन देवता ने तीन पग भूमि मांगी। वामन देवता ने पहले पग में धरती दूसरे पग में अकाश को नाग लिया था।
जिसके बाद तीसरे पग के लिए कोई और जगह ही नही बची थी। इसके बाद राजा बलि ने तीसरा पग अपने सिर पर रखने के लिए कहा और भगवान विष्णु ने ऐसा ही किया।जिसके बाद भगवान विष्णु राजा बलि से अति प्रसन्न हो गए थे और उन्हें यह वरदान दिया कि वह हर साल अपनी प्रजा से मिलने आ सकते हैं। राजा बलि के इस आगमन को ही ओणम के नाम से जाना जाता है। इसलिए हर साल केरल के लोग राजा बलि के स्वागत की लिए ओणम का पर्व मनाते हैं।कुम्मातीकलि आदि शामिल हैं।
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