Paush Mass 2022: पौष मास है अत्यंत श्रेष्ठ, जानें पिंडदान और इस माह का धार्मिक महत्व

Paush Mass 2022: सभी मासों पौष मास अत्यंत श्रेष्ठ है। पुराणों में भी इस माह का बखूबी वर्णन मिलता है। इसी मास में सूर्यदेव धनु राशि प्रवेश करते हैं। धनु राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। इस मास को धनु मास भी कहते हैं। इस माह में सूर्योदय के समय ही पूजा और भोजन कर लेना चाहिए। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के लोग इस नियम का पालन भी करते हैं उत्तर भारत में इसका पालन थोड़ा कम है। तो आइए जानते हैं पौष मास में पिंडदान करने का क्या महत्व है और इस माह का धार्मिक महत्व क्या है।
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पिंडदान का महत्व
शास्त्रों के अनुसार ,सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही पिंडदान का महत्व बढ़ जाता है। इसके अलावा पौष मास के दौरान ठंड भी गया क्षेत्र में तीव्र पड़ता है। ऐसे में ठंडे प्रदेश के यात्री पौष माह में आना चाहते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि पौष माह में जिन पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है वे तुरंत बैकुंठ लोक को वास करने चले जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि सामान्य महालय पक्ष का छोटा रुप ही पौष माह का पितृ पक्ष है।
धार्मिक महत्व
पवित्र गीता में भगवान श्रीकृष्ण जी कहते हैं कि जो व्यक्ति सूर्य के उत्तरायण में, दिन के उजाले में, शुक्ल पक्ष में अपने प्राण त्यागता है, वह मृत्यु भवन में लौट कर नहीं आता है। महाभारत युद्ध में जब अर्जुन की बाणों से भीष्म पितामह पूरी तरह घायल हो गए। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। कालांतर में भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया। जब सूर्य उत्तरायण हुआ, तो इच्छा मृत्यु प्राप्त भीष्म पितामह ने श्रीकृष्ण की वंदना कर अंतिम सांस ली। ऐसा माना जाता है कि इस वजह से भीष्म पितामह को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। अत: सनातन धर्म में पौष माह का विशेष महत्व है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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