Pitru Paksha Date In 2020 : पितृ दोष से मुक्ति, पितृों को प्रसन्न करने का अचूक उपाय, आप भी जानें

Pitru Paksha Date In 2020 : हिन्दू धर्म में लोग अपने पितृों की शांति के लिए अनेक प्रकार के क्रिया कर्म, दान पुण्य, पिंड दान, तर्पण आदि कार्य करते हैं। जिससे आपके पितृों को शांति मिल सके। और पितृ जिस लोक में हैं वहां प्रसन्न हो सकें। वैसे तो पितृों की शांति और उन्हें प्रसन्न करने के धर्म शास्त्रों में अनेक उपाय बताए गए हैं। लेकिन कुछ सरल उपाय करने से पितृ जल्दी ही प्रसन्न और तृप्त हो जाते हैं। और आपको इस उपाय को करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। ये सरल उपाय आपको पितृ पक्ष में रोजाना करने चाहिए। लेकिन अगर किसी कारण वश आप इन उपायों को प्रतिदिन नहीं कर पाते हैं तो पितृ पक्ष की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि के साथ-साथ जिस दिन आपके पितृों का श्राद्ध हो उस दिन आपको यह उपाय जरूर करने चाहिए। तो आइए आप भी जानें पितृ दोष से मुक्ति, पितृों को प्रसन्न करने के उपाय के बारे में जरुरी बातें।
उपाय करने के लिए सुबह जल्दी उठें। और नित्य क्रियाओं से निवृत होने के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पुरुषों को यह उपाय बिना सिले कपड़े पहनकर करना चाहिए। यानि की उपाय करते समय पेंट-जींस आदि ना पहनें। धोती और अंगोछा पहनकर ये उपाय करें।
स्नान करने के पश्चात आप एक लोटा में शुद्ध जल भरें। जल में थोड़ा सा कच्चा दूध, डालें, अब इसमें थोड़े से काले तिल डालें, थोड़े से चावल डालें, और इसके बाद कुछ जौ के दाने डालें। इसके बाद आप इस लोटे को लेकर किसी खुले स्थान या अपने घर की छत पर जाए। आप ऐसे स्थान पर जाएं, जहां पर भगवान सूर्यदेव दिखाई दे रहे हों। अब सूयेदेव की तरफ अपना मुंह करके भगवान भास्कर को लोटे का जल अर्पित करें। यानि कि भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
जल चढ़ाने के लिए आप लोटे को अपने दोनों हाथों में उठाकर अपने सिर से ऊपर उठाएं। और इसके बाद आप भगवान सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। आपको भगवान सूर्यदेव को तीन बार में लोटे का जल चढ़ाना है। यानि कि थोड़ा सा जल चढ़ाएं और एक-दो सेकेंड के लिए रूक जाएं। उसके बाद फिर जल चढ़ाएं और फिर थोड़ी देर के लिए रूक जाएं। इस प्रकार तीन बार में भगवान को जल अर्पित करना है। भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करते समय भगवान सूर्यदेव के गायत्री मंत्र का जाप करते रहें।
भगवान सूर्यदेव का गायत्री मंत्र
ऊं भास्कराय विद्यमहे महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात।
भगवान सूर्यदेव के इस गायत्री मंत्र का जाप करते हुए आपको जल अर्पित करना है। सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद आपके लोटे अथवा पात्र में जो तिल, जौ आदि सामग्री शेष बचती है उसे जल चढ़ाने के स्थान पर डाल दें। इसके बाद आप अपने ही स्थान पर खड़े होकर सात बार क्रोप वाइज घूमकर सूर्यदेव की परिक्रमा करें। यानि की आपको अपने दांए से बाएं हाथ की तरफ घूमते हुए सूर्यदेव की सात बार परिक्रमा करनी है। परिक्रमा करते समय भी आपको इसी मंत्र का जाप करना है।
परिक्रमा करने के पश्चात अब आप भगवान श्रीगणेश को प्रणाम करें। और तत्पश्चात भगवान सूर्यदेव को प्रणाम करें। और साथ ही अपने पितृों का ध्यान करते हुए पितृ देव को प्रणाम करें। इसके बाद भगवान सूर्यदेव से अपने सभी पितृों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करें। और उनसे पितृों की मुक्ति के लिए आप प्रार्थना करें। और भगवान सूर्यदेव से पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी आप प्रार्थना करें। प्रार्थना करने के पश्चात आप अपने पितृदेव को प्रणाम करें। और पितृदेव के मंत्र का 108 बार यानि कि एक माला जाप करें।
मंत्र
ऊं पितृ देवताय नम:।
पितृदेव के इस मंत्र का आप बैठकर या खड़े होकर अपनी सुविधा के अनुसार जाप कर सकते हैं। आप अगर सूर्यदेव को घर से बाहर जाकर जल अर्पित कर रहे हैं तो आप इस मंत्र का जाप अपने घर पर आकर आसन पर बैठकर कर सकते हैं। और मंत्र का जाप करने के पश्चात पितृदेव का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें। और पितृ दोष से मुक्ति की प्रार्थना करें। और जाने-अनजाने में की गई सभी गलतियों की अपने पितृदेव से क्षमा याचना करें। और पितृदेव से अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करें।
शास्त्रों में बताया गया है कि पितृ दोष से मुक्ति पाने का ये बहुत ही अचूक उपाय है। इस उपाय को प्राचीन काल से हमारे पूर्वज भी करते चले आ रहे हैं।
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