Pradosh Vrat 2022 : साल 2022 में प्रदोष व्रत कब-कब होंगे, ऐसे देखें इस वर्ष का प्रदोष व्रत कैलेंडर

Pradosh Vrat 2022 : प्रत्येक महीने में कोई ना कोई प्रदोष व्रत जरुर पड़ता है। वहीं हिन्दू सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत ही महत्व होता है और इस व्रत को भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और प्रदोष काल में भगवान शिव की परिवार समेत पूजा की जाती है। तो आइए जानते हैं साल 2022 में प्रदोष व्रत कब-कब पड़ रहे हैं यानि प्रदोष व्रत की पूरी लिस्ट।
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मासिक प्रदोष व्रत पूजा साल 2022 कैलेंडर
प्रदोष व्रत तिथि | दिन | हिन्दू मास और पक्ष | त्रयोदशी तिथि समय |
15 जनवरी 2022 | शनिवार | पौष, शुक्ल त्रयोदशी शनि प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 10:19 अपराह्न, 14 जनवरी समाप्त - 00:57 पूर्वाह्न, 16 जनवरी |
30 जनवरी 2022 | रविवार | माघ, कृष्ण त्रयोदशी रवि प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 08:37 अपराह्न, 29 जनवरी समाप्त - 05:28 अपराह्न, 30 जनवरी |
14 फरवरी 2022 | सोमवार | माघ, शुक्ल त्रयोदशी सोम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 06:42 अपराह्न, 13 फरवरी समाप्त - 08:28 अपराह्न, 14 फरवरी |
28 फरवरी, 2022 | सोमवार | फाल्गुन, कृष्ण त्रयोदशी सोम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 05:42 पूर्वाह्न, 28 फरवरी समाप्त - 03:16 पूर्वाह्न, 01 मार्च |
15 मार्च 2022 | मंगलवार | फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशी भौम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 01:12 अपराह्न, 15 मार्च समाप्त - 01:39 अपराह्न, 16 मार्च |
29 मार्च 2022 | मंगलवार | चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी भौम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 01:38 अपराह्न, 29 मार्च समाप्त - 01:19 अपराह्न, 30 मार्च |
14 अप्रैल 2022 | गुरुवार | चैत्र, शुक्ल त्रयोदशी गुरु प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 04:49 पूर्वाह्न, 14 अप्रैल समाप्त - 03:55 पूर्वाह्न, 15 अप्रैल |
28 अप्रैल, 2022 | गुरुवार | वैशाख, कृष्ण त्रयोदशी गुरु प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 00:23 पूर्वाह्न, 28 अप्रैल समाप्त - 00:26 पूर्वाह्न, 29 अप्रैल |
13 मई 2022 | शुक्रवार | वैशाख, शुक्ल त्रयोदशी शुक्र प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 05:27 अपराह्न, 13 मई समाप्त - 03:22 अपराह्न, 14 मई |
27 मई 2022 | शुक्रवार | ज्येष्ठ, कृष्ण त्रयोदशी शुक्र प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 11:47 पूर्वाह्न, 27 मई समाप्त - 01:09 अपराह्न, 28 मई |
12 जून 2022 | रविवार | ज्येष्ठ, शुक्ल त्रयोदशी रवि प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 03:23 पूर्वाह्न, 12 जून समाप्त - 00:26 पूर्वाह्न, 13 जून |
26 जून 2022 | रविवार | आषाढ़, कृष्ण त्रयोदशी रवि प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 01:09 पूर्वाह्न, 26 जून समाप्त - 03:25 पूर्वाह्न, 27 जून |
11 जुलाई 2022 | सोमवार | आषाढ़, कृष्ण त्रयोदशी सोम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 11:13 पूर्वाह्न, 11 जुलाई समाप्त - 07:46 पूर्वाह्न,12 जुलाई |
25 जुलाई 2022 | सोमवार | श्रवण, कृष्ण त्रयोदशी सोम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 04:15 अपराह्न, 25 जुलाई समाप्त - 06:46 अपराह्न, 26 जुलाई |
09 अगस्त 2022 | मंगलवार | श्रवण, शुक्ल त्रयोदशी भौम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 05:45 अपराह्न, 09अगस्त समाप्त - 02:15 अपराह्न, 10 अगस्त |
24 अगस्त 2022 | बुधवार | भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी बुद्ध प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 08:30 पूर्वाह्न, 24 अगस्त समाप्त - 10:37 पूर्वाह्न, 25 अगस्त |
08 सितंबर 2022 | गुरुवार | भाद्रपद, शुक्ल त्रयोदशी गुरु प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 00:04 पूर्वाह्न, 08 सितम्बर समाप्त - 09:02 अपराह्न, 08 सितम्बर |
23 सितंबर 2022 | शुक्रवार | आश्विन, कृष्णा त्रयोदशी शुक्र प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 01:17 पूर्वाह्न, 23 सितंबर समाप्त - 02:30 पूर्वाह्न, 24 सितंबर |
07अक्टूबर 2022 | शुक्रवार | आश्विन, शुक्ल त्रयोदशी शुक्र प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 06:02 अपराह्न, 06 अक्टूबर समाप्त - 06:03 अपराह्न, 07 अक्टूबर |
23 अक्टूबर 2022 | रविवार | कार्तिक, कृष्ण त्रयोदशी रवि प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 06:03 अपराह्न, 22 अक्टूबर समाप्त - 06:03 अपराह्न, 23 अक्टूबर |
05 नवंबर 2022 | शनिवार | कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी शनि प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 05:06 अपराह्न, 05 नवंबर समाप्त - 04:28 अपराह्न, 06 नवंबर |
21 नवंबर 2022 | सोमवार | मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी सोम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 10:07 पूर्वाह्न, 21 नवंबर समाप्त - 08:49 पूर्वाह्न, 22 नवंबर |
05 दिसंबर 2022 | सोमवार | मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी सोम प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 05:57 पूर्वाह्न, 05 दिसंबर समाप्त - 06:47 पूर्वाह्न, 06 दिसंबर |
21 दिसंबर 2022 | बुधवार | पौष, कृष्ण त्रयोदशी बुद्ध प्रदोष व्रत | प्रारंभ - 00:45 पूर्वाह्न, 21 दिसंबर समाप्त - 10:16 अपराह्न, 21 दिसंबर |
प्रदोष व्रत में सूर्यास्त के बाद भगवान चंद्रमौली आशुतोष शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। कर्ज से मुक्ति के लिए मंगलवार, घर में शांति और सुरक्षा के लिए सोमवार, रोग और विवाद से शांति पाने के लिए रवि प्रदोष व्रत अति उत्तम रहता है। नियमपूर्वक प्रदोष व्रत का पालन करने वाला व्यक्ति भगवान शिव की कृपा से हमेशा सुखी और दीर्घायु होता है और मृत्यु के उपरांत वह शिवलोक में स्थान पाता है।
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