Pradosh Vrat 2022: फाल्गुन शुक्ल प्रदोष व्रत कब है, एक क्लिक में जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat 2022: फाल्गुन शुक्ल प्रदोष व्रत कब है, एक क्लिक में जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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Pradosh Vrat 2022: हर महीने दोनों पक्षों की शुक्ल और कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। शिव पुराण के अनुसार, यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय अर्थात प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष व्रत जब मंगलवार को पड़े तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा से सभी पापों का नाश होता है। इस साल 15 मार्च 2022, दिन मंगलवार को फाल्गुन शुक्ल प्रदोष व्रत पड़ रहा है। तो आइए जानते हैं फाल्गुन प्रदोष व्रत तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शिव पंचाक्षरी मंत्रके बारे में...

Pradosh Vrat 2022: हर महीने दोनों पक्षों की शुक्ल और कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। शिव पुराण के अनुसार, यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय अर्थात प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष व्रत जब मंगलवार को पड़े तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा से सभी पापों का नाश होता है। इस साल 15 मार्च 2022, दिन मंगलवार को फाल्गुन शुक्ल प्रदोष व्रत पड़ रहा है। तो आइए जानते हैं फाल्गुन प्रदोष व्रत तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शिव पंचाक्षरी मंत्रके बारे में...

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फाल्गुन शुक्ल प्रदोष शुभ मुहूर्त 2022

फाल्गुन शुक्ल प्रदोष तिथि

साल 2022 में फाल्गुन शुक्ल प्रदोष व्रत 15 मार्च, दिन मंगलवार को रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त

सांयकाल 06:29 बजे से रात्रि 08:53 बजे तक

फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रारंभ

15 मार्च दोपहर 01:12 बजे

फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त

16 मार्च दोपहर 01:39 बजे

भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि

मंगलवार के दिन होने के कारण यह भौम प्रदोष होगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा से सुखी जीवन, कर्ज से मुक्ति और सभी संकटों का नाश होता है। इस दिन प्रात:काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर ईशान कोण में शिव जी की प्रतिमा स्थापित कर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करें।

पूजा में लगातार शिव पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करें। क्योंकि इस दिन पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इसीलिए शाम के समय शुभ मुहूर्त में भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित कर साबुत चावल की खीर का भोग लगाएं। इस दिन शिवलिंग पर जल अर्पण करने से मनोकामना पूरी होती है। अंत में भौम प्रदोष कथा सुनकर आरती कर लें और सभी को प्रसाद वितरण करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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